पटना : आयाम-साहित्य का स्त्री स्वर के नौवें वार्षिकोत्सव के दूसरे दिन गुरु पूर्णिमा के अवसर पर जे.डी. वीमेंस काॅलेज सभागार में आयाम की संस्थापिका डाॅ. उषा किरण खान की स्मृति में सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत मुख्य अतिथियों- लेखिका ममता कालिया, लेखिका गीता श्री, लेखक आलोक धन्वा, लेखक मुकेश प्रत्युष तथा जे.डी.वीमेंस काॅलेज की प्राचार्या डाॅ. मीरा कुमारी द्वारा दीप प्रज्जवलित करके किया गया।
सबसे पहले भारतीय नृत्य कला मंदिर में भरतनाट्यम की विभागाध्यक्ष प्रसिद्ध नृत्यांगना सुदीपा घोष ने अपनी नृत्य प्रस्तुति से समां बांधा. सुदीपा ने गीतकार हृदय नारायण झा द्वारा रचित गीत पर अपनी मंत्रमुग्ध करनेवाली प्रस्तुति दी, जिसे प्रसिद्ध गायिका नंदिता चक्रवर्ती की आवाज में रिकार्ड किया गया था। नृत्य में स्वीटी, मानसी, कशिश और सोमा रानी साहा उनकी सहधर्मिणियां रहीं।
दूसरी नृत्य प्रस्तुति विद्यापति द्वारा सावन माह में भगवान शिव की महिमा से संबंधित था। सुदीपा ने बताया कि दोनों ही नृत्य प्रस्तुतियां उनकी स्व-परिकल्पना है। सुदीपा की तीसरी नृत्य प्रस्तुति भरतनाट्यम की ‘तिल्लाना’ पर आधारित थी। सुदीपा के बाद आयाम की सदस्या पूनम सिन्हा ने अपने मधुर गायन से सबका दिल जीत लिया। उसके बाद लोकगायिका श्वेत प्रीत ने कबीर के भजन “हमन है इश्क मस्ताना, हमन को होशियारी क्या…” की प्रस्तुति दी। साथ ही कजरी भी गाया. कार्यक्रम के अंत में कलाकार आनंद कुमार ने गायन प्रस्तुति दी।
कार्यक्रम में मंच संचालन की जिम्मेदारी रंजीता तिवारी, विद्या चौधरी, अर्चना त्रिपाठी और सुमेधा पाठक ने संभाली. अतिथियों का सम्मान किरण सिंह, रीता सिंह, प्रो. ऊषा सिंह, केकी कृष्णा, इति माधवी, आशा कुमारी, रचना प्रियदर्शिनी तथा शाइस्ता अंजुम के द्वारा किया गया. सबसे अंत में ऊषा सिंह ने धन्यवाद के साथ ही कार्यक्रम का समापन किया। बता दें कि वर्ष 2016 में गठित साहित्यिक संस्था ‘आयाम-साहित्य का स्त्री स्वर’ की स्थापना पद्म श्री डॉ. उषा किरण खान के द्वारा की गयी थी. संस्था का उद्देश्य बिहार की स्त्री लेखिकाओं को एक मंच प्रदान करना है।
प्रभात रंजन शाही की रिपोर्ट