अनंत सिंह के गढ़ मोकामा में नेता प्रतिपक्ष और राजद के सीएम फेस तेजस्वी यादव ने घुड़सवारी कर बड़ा सियासी संकेत दे दिया है। सूत्रों ने खबर दी है कि मोकामा सीट से अनंत सिंह को टक्कर देने के लिए महागठबंधन ने पशुपति पारस की लोजपा के सूरजभान सिंह को उतारने की तैयारी कर ली है। इस खबर ने मोकामा ही नहीं, पूरे बिहार की सियासत में खलबली मचा दी है। अटकलें यह भी हैं कि आरजेडी यहां से सीधे—सीधे सूरजभान सिंह या उनकी पसंद के किसी व्यक्ति को अपनी पार्टी के सिंबल लालटेन पर चुनावी मैदान में उतार सकती है। मोकामा में भूमिहारों के अलावा यादव, मुस्लिम और निषाद समुदाय के वोट बड़ी संख्या में हैं। ऐसे में सूरभान सिंह पर दांव लगाना, तेजस्वी के लिए यहां मास्टरस्ट्रोक की तरह हो सकता है। तेजस्वी ने भले ही सीधे किसी का नाम नहीं लिया, लेकिन उन्होंने यह संकेत दिया है कि इस बार मोकामा सीट पर कोई चौंकाने वाला फैसला ले सकते हैं।
सूरजभान सिंह अनंत सिंह की तरह ही भूमिहार वर्ग से आते हैं। अगर वे अपने समाज का थोड़ा भी वोट अपने पक्ष में कर लेते हैं तो यहां अनंत सिंह के लिए काफी मुश्किल हो जाएगी। मोकामा में तेजस्वी यादव की घुड़सवारी का वीडियो आज सोशल मीडिया पर काफी वायरल है। सियासी हलकों में कहा जा रहा कि मोकामा में घोड़ी की सवारी कर तेजस्वी ने यह जताने की कोशिश की है कि वे अनंत सिंह के गढ़ में ही उन्हें टक्कर देने के लिए तैयार हैं। इस घुड़सवारी ने न सिर्फ सियासी गलियारों में, बल्कि सोशल मीडिया पर भी खूब चर्चा बटोरी है। यह घटना ऐसे समय में हुई है जब कुछ ही दिन पहले अनंत सिंह अपने बेटे को घुड़सवारी सिखाते हुए देखे गए थे, और उनकी तस्वीरें और वीडियो वायरल हुईं थी अब तेजस्वी की घुड़सवारी को “छोटे सरकार” अनंत सिंह को सीधी चुनौती के तौर पर देखा जा रहा है।
दरअसल, तेजस्वी बिहार अधिकार यात्रा के दौरान बीते दिन मोकामा पहुंचे थे। यहां अपनी यात्रा के दौरान वे चुनावी रथ छोड़कर घोड़े पर सवार हो गए। इसे उनके शक्ति प्रदर्शन के रूप में समझा जा रहा है। बिहार में घोड़े की सवारी को अक्सर मर्दानगी और दबदबे का प्रतीक माना जाता है। मोकामा को अनंत सिंह का गढ़ कहा जाता है, जहां उनकी मर्जी के बिना पत्ता भी नहीं हिलता। ऐसे में, तेजस्वी का यह कदम अनंत सिंह को साफ संदेश देता है कि अब मोकामा सिर्फ उनका गढ़ नहीं रहा। तेजस्वी ने मोकामा में घोड़े पर चढ़कर यह दिखाया है कि वे अनंत सिंह के गढ़ में उन्हें टक्कर देने के लिए तैयार हैं। यह सिर्फ एक सांकेतिक कदम नहीं, बल्कि तेजस्वी के आक्रामक तेवरों को दर्शाता है।