अनादि हैं गयाजी

अनादि काल से करोड़ों लोगों के हृदय में, मन में, वाणी में

बुद्धों का गयाजी

ऐतिहासिक प्रमाणों की उपेक्षा कर समाज में यह अवधारणा बना दिया गया