By using this site, you agree to the Privacy Policy and Terms of Use.
Accept
Swatva Samachar
Notification
  • Home
  • देश-विदेश
  • राज्य
  • राजपाट
  • खेल-कूद
  • मनोरंजन
  • अपराध
  • अर्थ
  • अवसर
  • आप्रवासी मंच
    • बिहारी समाज
  • मंथन
  • वायरल
  • विचार
  • शिक्षा
  • संस्कृति
  • स्वास्थ्य
  • वीडियो
  • E-Magazine
Font ResizerAa
Swatva SamacharSwatva Samachar
  • देश-विदेश
  • राजपाट
  • खेल-कूद
  • मनोरंजन
  • अपराध
  • अर्थ
  • अवसर
  • आप्रवासी मंच
  • बिहारी समाज
  • मंथन
  • वायरल
  • विचार
  • शिक्षा
  • संस्कृति
  • स्वास्थ्य
Search
  • About us
  • Advertisement
  • Editorial Policy
  • Grievance Report
  • Privacy Policy
  • Terms of use
  • Feedback
  • Contact us
Follow US
लेटेस्ट न्यूज़

अतीत के गौरव से सक्षात्कार कराने वाले ऐतिहासिक उपन्यासकार है डा.शत्रुघ्न प्रसाद

K.K Ojha
Last updated: July 12, 2024 5:57 pm
By K.K Ojha 527 Views
Share
9 Min Read
filter: 0; fileterIntensity: 0.0; filterMask: 0; brp_mask:0; brp_del_th:null; brp_del_sen:null; delta:null; module: photo;hw-remosaic: false;touch: (-1.0, -1.0);sceneMode: 32768;cct_value: 0;AI_Scene: (-1, -1);aec_lux: 0.0;aec_lux_index: 0;albedo: ;confidence: ;motionLevel: -1;weatherinfo: null;temperature: 37;
SHARE

हिंदी-साहित्य के ऐतिहासिक उपन्यासकारों की अग्रिम पंक्ति में प्रो. शत्राुघ्न प्रसाद का नाम अंकित है। उन्होंने 60 वर्षों तक सक्रिय लेखन किया। हजारीप्रसाद द्विवेदी और वृंदावनलाल वर्मा की कड़ी को आगे बढ़ाते हुए आपने बारह उपन्यासों की रचना की। भारतीय इतिहास का सम्यक् अध्ययन, चिंतन-मनन कर आपने यथार्थ और कल्पना के मेल से नई पीढ़ी को सांस्कृतिक विरासत सौंपा है। शत्रुघ्न बाबू ने कहा था कि ‘‘ऐतिहासिक उपन्यास का मतलब केवल अतीत का गौरव दिखाना नहीं है। ऐतिहासिक उपन्यासों के माध्यम से समाज के यथार्थ को, अतीत के यथार्थ को और साथ-ही-साथ आज के राजनैतिक यथार्थ के द्वंद्व की भी अभिव्यक्ति की जा सकती है। इसलिए मैंने ऐतिहासिक उपन्यास-लेखन को चुना।’’
‘‘वर्तमान के नए संदर्भ में अतीत के यथार्थ, संघर्ष एवं उत्कर्ष-अपकर्ष को समझना मानवीय एवं राष्ट्रीय संदर्भ है। सर्वपंथ समभाव वा सर्वधर्म समभाव तथा समरसता के लिए हम कबीर, दारा शिकोह तथा महात्मा गांधी की साधना को ऐतिहासिक उपन्यासों के द्वारा देखकर अनुप्राणित होना चाहेंगे।’’ 12 फरवरी, 1932 को छपरा में श्री जगन्नाथ प्रसाद और मानकी देवी के घर जनमे शत्राुघ्न प्रसाद के हृदय में बाल्यकाल से ही राष्ट्रप्रेम की दीपशिखा जल उठी थी। आपने विद्यालय से ही देश के लिए आंदोलनों में बढ़-चढ़कर भाग लेना शुरू कर दिया था।

Contents
सांस्कृतिक- साहित्यिक नगर छपराकश्मीर आन्दोलन में हुए शामिलउन्होंने राजेंद्र काॅलेज, छपरा से स्नातक की उपाधि प्राप्त की। जब वे बी.ए. तृतीय वर्ष के छात्रा थे, उसी समय कश्मीर में लगे धारा 370 एवं 35ए के विरोध में श्यामा प्रसाद मुखर्जी के नेतृत्व में चल रहे आंदोलन में भाग लेने छपरा से दिल्ली गए और गिरफ्तार कर लिए गए। श्यामा प्रसाद मुखर्जी की हत्या के कारण आंदोलन रुक गया। काॅलेज छात्रा होने के कारण तीन दिनों के बाद आपको रिहा कर दिया गया। तत्पश्चात्् पटना विश्वविद्यालय से हिंदी विषय लेकर आपने स्नातकोत्तर एवं ‘द्विवेदीयुगीन हिंदी-नाटक’ विषय पर पी-एच.डी. करके वर्ष 1957 में मगध विश्वविद्यालय के अंगीभूत किसान काॅलेज, सोहसराय, नालंदा में हिंदी के आचार्य और विभागाध्यक्ष के पद को सुशोभित किया। सन् 1957 में ही शुरुआती अध्यापन-कार्य के दौरान ही सरकार के गलत नियमों के विरुद्ध आवाज उठाई और गिरफ्तारी दी।आपात काल में गए जेलनालंदा भग्नावशेष से मिली ऐतिहासिक उपन्यास की प्रेरणाविविधता से पूर्ण व्यक्तित्वादिनकर की कविता से दिया जवाब
- Advertisement -

सांस्कृतिक- साहित्यिक नगर छपरा

शत्रुघ्न बाबू ने अपने शहर को वर्णन करते हुए लिख है-‘‘बिहार के छपरा नगर निवासी रहा हूँ। यह नगर सांस्कृतिक- साहित्यिक-राजनीतिक दृष्टि से जाग्रत् रहा है और मैंने अपनी आँखों से सन् 1942 के आंदोलन, सन् 1945 के नेता सुभाष जी के आधार पर नई राष्ट्रीय लहर, सन् 1946 की उथल-पुथल और भारत-विभाजन के साथ स्वातंत्रयोत्सव देखा है, इनमें सम्मिलित भी हुआ हूँ। छात्रा-जीवन की स्थितियाँ त्रासदीपूर्ण रही हैं। और कश्मीर की त्रासदी के बाद चीनी आक्रमण, ये सब घटनाएँ घटती रही हैं। अतः मैं भारत के इतिहास में ऐसी उथल-पुथल देखने लगा। लगा कि भारतीय इतिहास में सामाजिक अंतर्विरोध व्यक्ति के अहं एवं स्वार्थ, सांस्कृतिक द्वंद्व और आक्रमण तथा संघर्ष के समय कुंठित-खंडित राष्ट्रबोध के जीवंत लेख हैं। कुछ गौरवपूर्ण अध्याय के साथ दुर्बलताओं का अभिलेख है। यह इतिहास भी अँगरेज इतिहासकारों द्वारा हीनता का बोध जगाता रहा है। स्वाधीनता के बाद भी ऐसा ही प्रयत्न होता रहा है।’’

कश्मीर आन्दोलन में हुए शामिल

उन्होंने राजेंद्र काॅलेज, छपरा से स्नातक की उपाधि प्राप्त की। जब वे बी.ए. तृतीय वर्ष के छात्रा थे, उसी समय कश्मीर में लगे धारा 370 एवं 35ए के विरोध में श्यामा प्रसाद मुखर्जी के नेतृत्व में चल रहे आंदोलन में भाग लेने छपरा से दिल्ली गए और गिरफ्तार कर लिए गए। श्यामा प्रसाद मुखर्जी की हत्या के कारण आंदोलन रुक गया। काॅलेज छात्रा होने के कारण तीन दिनों के बाद आपको रिहा कर दिया गया। तत्पश्चात्् पटना विश्वविद्यालय से हिंदी विषय लेकर आपने स्नातकोत्तर एवं ‘द्विवेदीयुगीन हिंदी-नाटक’ विषय पर पी-एच.डी. करके वर्ष 1957 में मगध विश्वविद्यालय के अंगीभूत किसान काॅलेज, सोहसराय, नालंदा में हिंदी के आचार्य और विभागाध्यक्ष के पद को सुशोभित किया। सन् 1957 में ही शुरुआती अध्यापन-कार्य के दौरान ही सरकार के गलत नियमों के विरुद्ध आवाज उठाई और गिरफ्तारी दी।

आपात काल में गए जेल

सन् 1975-1977 में फिर से तत्कालीन प्रधानमंत्राी के खिलाफ चल रहे जनांदोलन ‘संपूर्ण क्रांति’ में बिहारशरीफ से नेतृत्व सँभाला, जिसके पश्चात्् आपको अठारह महीने की कठोर कारावास की सजा मिली। आपातकाल की समाप्ति के बाद कारावास से छूटने के पश्चात् आपको सक्रिय राजनीति में आने और चुनाव के टिकट का प्रस्ताव मिलने लगा। किंतु किसी भी लालसा और महत्त्वाकांक्षा से परे आपका लक्ष्य सिर्फ देश के सांस्कृतिक और ऐतिहासिक अध्ययन और उसकी पुनस्स्थापना थी। इसलिए विनम्रता से सभी को अपना उद्देश्य बताकर मना कर दिया।

नालंदा भग्नावशेष से मिली ऐतिहासिक उपन्यास की प्रेरणा

बिहारशरीफ के पास ही विश्वप्रसिद्ध नालंदा विश्वविद्यालय के भग्नावशेषों को देखकर भारतीय इतिहास की पीड़ा की अनुभूति और ऐतिहासिक उपन्यास के लेखन का संकल्प कर लिया, जिससे भारतीय जीवन का यथार्थ सामने आ सके। बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी शत्राुघ्न बाबू कविता और कहानियाँ लिख ही रहे थे और फिर सन् 1980 से उपन्यास-लेखन शुरू किया। हिंदी-साहित्य और इतिहास विषयों पर अपनी सशक्त लेखनी से आपने बहुत शीघ्र ही राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाने में सफलता प्राप्त कर ली। आपने वामपंथी चिंतन से अलग राष्ट्रवादी चिंतन की स्थापना को धार दिया। सिद्धियों के खंडहर, शिप्रा साक्षी, हेमचंद्र्र विक्रमादित्य व हेमू की आँखें, कश्मीर की बेटी, सुनो भाई साधो, तुंगभद्रा पर सूर्योदय, अरावली का मुक्त शिखर, शहज़ादा दारा शिकोह: दहशत का दंश, सरस्वती सदानीरा, तख़्त-ए-ताऊस: गुरु तेगबहादुर की बलिदान गाथा, आहों का उल्लास, श्रावस्ती का विजय पर्व इन ऐतिहासिक उपन्यासों के माध्यम से डा.शत्रुघ्न प्रसाद ने भारतीय इतिहास के उपेक्षित संदर्भों को मुखरित किया।

- Advertisement -

विविधता से पूर्ण व्यक्तित्वा

शत्रुघ्न बाबू का जो व्यक्तित्व अंकित है, वह विविधता से परिपूर्ण प्रेरणापुंज जैसा है। शत्राुघ्न बाबू एक ऐसे साहित्यकार थे, जिनकी रचनाओं में समाज की वास्तविकता, इतिहास के उपेक्षित संदर्भों को जीवंत करने की व्यग्रता, समस्याओं के निराकरण करनेवाली सूक्ष्मान्वेषी दृष्टि और भविष्य की आकांक्षा दिखती है। एक शिक्षक, जिसका पूरा जीवन अनुशासन, अध्ययन, अध्यापन, समीक्षा, आलोचना एवं चरित्रा-निर्माण को समर्पित रहा, उनकी उपेक्षा की गई है। एक स्वयंसेवक तथा संगठक, जिसके जीवन में विवेक, धैर्य, क्षमा, शांति और समन्वय-प्रवृत्ति संस्कार एवं व्यवहार रूप में परिलक्षित होता था, उसे नजरअंदाज किया गया है। शत्रुघ्न बाबू का व्यक्तित्व प्रभावशाली था, जिनके वक्तव्य तथ्य और संदर्भ से परिपूर्ण होते थे।

दिनकर की कविता से दिया जवाब

एक दिन उनसे ऐ पत्रकार ने पूछा था कि आप ऐतिहासिक उपन्यासकार हैं। इसका क्या मतलब समझा जाए। मेरे इस प्रश्न पर उन्होंने एक पत्रिका में छपी एक कविता दिखाते हुए कहा ‘‘आप इसे पढ़िए। मैं थोड़ी देर में आता हूँ।“
गरदन पर किसका पाप वीर! ढोते हो ?
शोणित से तुम किसका कलंक धोते हो?
उनका, जिनमें कारुण्य असीम तरल था,
तारुण्य-ताप था नहीं, न रंच गरल था।
सस्ती सुकीर्ति पाकर जो फूल गए थे,
निर्वीर्य कल्पनाओं में भूल गए थे।
गीता में जो त्रिपिटक-निकाय पढ़ते हैं,
तलवार गला कर जो तकली गढ़ते हैं।
शीतल करते हैं अनल प्रबुद्ध प्रजा का,
शेरों को सिखलाते हैं धर्म अजा का।
सारी वसुंधरा में गुरु-पद पाने को,
प्यासी धरती के लिए अमृत लाने को
जो संत लोग सीधे पाताल चले थे,
(अच्छे हैं अब ये पहले भी बहुत भले थे।)
हम उसी धर्म की लाश यहाँ ढोते हैं,
शोणित से संतों का कलंक धोते हैं।
लौटकर अपनी कुर्सी पर बैठते हुए उन्होंने कहा था कि ‘‘आपके इस प्रश्न का जवाब दिनकर द्वारा रचित इन पंक्तियों में है। संयोग से वह मेरे सामने दिख गई। इसीलिए मैंने आपको यह पढ़ने के लिए दे दी। देखिए, भारत के इतिहास का लेखन भारतीय दृष्टि से नहीं हुआ है। भारतीय दृष्टि से महत्त्वपूर्ण इतिहास के बिंदु की घोर उपेक्षा की गई है। यह स्थिति बदलनी होगी। इसी भाव से हमने ऐतिहासिक संदर्भों एवं नायकों पर उपन्यास-लेखन शुरू किया। इसे आप इतिहास-विमर्श-सुधार भी कह सकते हैं। इतिहास ही नहीं, साहित्य, कला एवं पत्राकारिता जैसे क्षेत्रों में भारतीय दृष्टि की भारी कमी है। इस दिशा में हमें सोचना होगा।“ उनकी यह बात सत्य है।

- Advertisement -
TAGGED: bihar news, patna news, Shatrudhan prasad
Share This Article
Facebook Twitter Whatsapp Whatsapp LinkedIn Telegram Copy Link
Did like the post ?
Love0
Sad0
Happy0
Sleepy0
Angry0
Dead0
Wink0

हमने पुरानी ख़बरों को आर्काइव में डाल दिया है, पुरानी खबरों को पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक कर। Read old news on Archive

Live News

- Advertisement -

Latest News

सीतामढ़ी मेले में जातीय सम्मेलन का पासी समाज ने किया आगाज,
बिहारी समाज
जीविका द्वारा रोजगार–सह–मार्गदर्शन मेला का आयोजन, 602 आवेदन प्राप्त
बिहारी समाज
निर्माणाधीन पंचायत सरकार भवनों की प्रगति की समीक्षा, कार्य में तेजी लाने का निर्देश
बिहारी समाज
करियर काउंसलिंग उन्मुखीकरण कार्यक्रम का शुभारंभ, पहले दिन 200 शिक्षकों ने लिया भाग
बिहारी समाज
- Advertisement -

Like us on facebook

Subscribe our Channel

Popular Post

सीतामढ़ी मेले में जातीय सम्मेलन का पासी समाज ने किया आगाज,
बिहारी समाज
जीविका द्वारा रोजगार–सह–मार्गदर्शन मेला का आयोजन, 602 आवेदन प्राप्त
बिहारी समाज
निर्माणाधीन पंचायत सरकार भवनों की प्रगति की समीक्षा, कार्य में तेजी लाने का निर्देश
बिहारी समाज
करियर काउंसलिंग उन्मुखीकरण कार्यक्रम का शुभारंभ, पहले दिन 200 शिक्षकों ने लिया भाग
बिहारी समाज
- Advertisement -
- Advertisement -

Related Stories

Uncover the stories that related to the post!
विधानसभा, नीतीश, पीएम मोदी, भाई वीरेंद्र, बिदके, राजद
देश-विदेश

PM मोदी का नाम सुनते ही बिदके भाई बीरेंद्र तो नीतीश ने अच्छे से सुना दिया

बिहार विधानसभा के शीतकालीन सत्र के चौथे दिन राज्यपाल के अभिभाषण पर…

By Amit Dubey
लेटेस्ट न्यूज़

राज्यपाल के अभिभाषण में माइक खराब, स्पीकर ने बुलाई बैठक, होगी कार्रवाई

पटना: बिहार विधान सभा अध्यक्ष डॉ. प्रेम कुमार ने बुधवार को राज्यपाल…

By Swatva Desk
बिहारी समाज

स्पोर्ट्ज़ विलेज ने ‘गेट किड्स टू प्ले समिट’ के साथ बिहार में किया संचालन का शुभारंभ

पटना : भारत के सबसे बड़े स्कूल स्पोर्ट्स संगठन स्पोर्ट्ज़ विलेज ने…

By Swatva
एक्ट्रेस, नेहा शर्मा, ED, पूछताछ, कांग्रेस, अजीत शर्मा, बेटी, भागलपुर, चुनाव
देश-विदेश

भागलपुर सीट से चुनाव लड़ने वाले कांग्रेस नेता अजीत शर्मा की एक्ट्रेस बेटी से ED की पूछताछ

ऑनलाइन बेटिंग प्लेटफॉर्म 1xBet से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग केस में ED ने…

By Amit Dubey
Show More
- Advertisement -

About us

पत्रकारों द्वारा प्रामाणिक पत्रकारिता हमारा लक्ष्य | लोकचेतना जागरण से लोकसत्ता के सामर्थ्य को स्थापित करना हमारा ध्येय | सूचना के साथ, ज्ञान के लिए, गरिमा से युक्त |

Contact us: [email protected]

Facebook Twitter Youtube Whatsapp
Company
  • About us
  • Feedback
  • Advertisement
  • Contact us
More Info
  • Editorial Policy
  • Grievance Report
  • Privacy Policy
  • Terms of use

Sign Up For Free

Subscribe to our newsletter and don't miss out on our programs, webinars and trainings.

[mc4wp_form]

©. 2020-2024. Swatva Samachar. All Rights Reserved.

Website Designed by Cotlas.

adbanner
AdBlock Detected
Our site is an advertising supported site. Please whitelist to support our site.
Okay, I'll Whitelist
Welcome Back!

Sign in to your account

Lost your password?