नवादा : जिले के उग्रवाद प्रभावित रजौली प्रखंड के सुदूरवर्ती पंचायत सवैयाटांड़ में विद्यालयों में पठन-पाठन की स्थिति दयनीय है। मुख्यालय से अधिक दूरी एवं जंगली क्षेत्र होने के कारण वहां पदस्थापित शिक्षकगण हमेशा अपनी गलतियों के कारण समाचार पत्रों के पन्नों को शोभा बढ़ाते नजर आ रहे हैं। बावजूद कार्रवाई शून्य है। ऐसे में शिक्षकों का मनोबल बढ़ता जा रहा है। क्या है मामला:-दोपहर 2 बजे के पूर्व ही बसरौन उत्क्रमित मध्य विद्यालय में पदस्थापित पांच शिक्षकों में मात्र दो शिक्षकगण ही मौजूद थे। विद्यालय में नामांकित 265 छात्र-छात्राओं में एक भी बच्चे उपस्थित नहीं थे। इस दौरान विद्यालय के प्रभारी प्रधानाध्यापक मो. मंसूर आलम एवं शिक्षक मंटू कुमार के अलावे टोला सेवक लक्ष्मण राजवंशी कार्यालय में मौजूद मिले।
प्रभारी प्रधानाध्यापक ने बताया कि विद्यालय की प्रधानाध्यापिका सविता कुमारी 3 मार्च से प्रशिक्षण पर हैं। शिक्षिका पूजा कुमारी एवं अंजनी कुमारी स्पेशल लीव पर हैं, जिनमें शिक्षिका पूजा कुमारी का आवेदन कार्यालय में मौजूद था,जबकि शिक्षिका अंजनी कुमारी का स्पेशल लीव पर होना संदेहास्पद है। शिक्षिका अंजू कुमारी बिना अवकाश के विद्यालय से गायब थीं।प्रभारी प्रधानाध्यापक मो. मंसूर आलम ने बताया कि विद्यालय में नामांकित 265 बच्चों में 80 से 85 बच्चे प्रतिदिन विद्यालय आते हैं। गांव के एक घर में शादी थी,जिसके कारण 48-50 बच्चे ही विद्यालय आए थे और मध्याह्न भोजन के बाद सभी विद्यालय से चले गए। विद्यालय में मौजूद शिक्षकगण भी छुट्टी होने के समय का इंतजार कर रहे हैं।
आसपास के लोगों से पूछे जाने पर बताया कि गांव में एक शादी का कार्यक्रम है,लेकिन शादी आज नहीं है।साथ ही ग्रामीणों ने बताया कि देवी मंदिर में पूजन करने के लिए गांव की महिलाएं एवं युवतियां ही गई हैं, वहां कोई बच्चा नहीं गया है।
देवी मंदिर में पूजन करते ग्राम पंचायत के मुखिया नारायण सिंह एवं ग्रामीण महिलाएं पूजा करते दिखाई दिए।अब सोचने वाली बात है कि जंगली क्षेत्र के विद्यालय में बिहार सरकार एवं शिक्षा विभाग के वरीय पदाधिकारी जहां शिक्षा व्यवस्था दुरुस्त करने के लिए लाख प्रयत्न कर रहे हैं।किंतु शिक्षकगण ही बच्चों के उज्ज्वल भविष्य से खेल रहे हैं।
बुद्धिजीवियों की मानें तो जंगली क्षेत्र के सरकारी विद्यालयों में पठन-पाठन की स्थिति में सुधार हेतु प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी, प्रखंड विकास पदाधिकारी समेत अन्य पदाधिकारियों का निरंतर भ्रमण होने से ही सुधार संभव है। पदाधिकारियों द्वारा नियमित निरीक्षण नहीं किए जाने के कारण इन क्षेत्रों के बच्चों को ना तो गुणवतापूर्ण शिक्षा मिल पाती है और ना ही एमडीएम समेत अन्य सुविधाओं का लाभ।शिक्षकगण आपस में मेल-मिलाप कर बच्चों एवं ग्रामीणों को ठगने का काम कर रहे हैं।
कहते हैं पदाधिकारी
इस बाबत प्रभारी बीडीओ सह सीओ मो. गुफरान मजहरी ने बताया कि मामले की जांच का हेतु आदेश दिया गया है। जांच रिपोर्ट आने के बाद अग्रेतर कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी। ऐसे में यह कहा जा सकता है कि एसीएस सिद्धार्थ लाख प्रयास कर लें शिक्षा विभाग में सुधार लाना मुश्किल है।
भईया जी की रिपोर्ट