विशेष निगरानी इकाई SVU ने ठेकेदारी करते करते बिहार के वरिष्ठ अफसरों के चहेते बन गए रिशु रंजन सिन्हा उर्फ रिशु श्री के खिलाफ एफआईआर दर्ज किया है। SVU के ADG पंकज दराद ने FIR दर्ज होने की पुष्टि करते हुए कहा कि यह कार्रवाई मनी लॉड्रिंग मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) की ओर से की जा रही जांच के दौरान मिले साक्ष्यों के आधार पर की गई है। रिशु के साथ ही इस मामले में निलंबित आईएएस अधिकारी संजीव हंस को भी अभियुक्त बनाया गया है। ईडी की जांच में ये सामने आया है कि रिशु के करीब एक दर्जन बड़े अधिकारियों से करीबी संबंध हैं। इनमें से कई वरीय अफसर बिहार में अहम पदों पर तैनात हैं।
मनी लाॅड्रिंग मामले में SVU की कार्रवाई
यह मामला बड़े पैमाने पर किये गए भ्रष्टाचार और घूसखोरी से जुड़ा है। मामले में प्रवर्तन निदेशालय ED की टीम ने जांच के दौरान मिले सबूतों के आधार पर बिहार सरकार के गृह विभाग को पत्र लिखकर FIR दर्ज करने की सिफारिश की थी। ईडी के पत्र में रिशु की भूमिका और सरकारी अधिकारियों से उसके संबंधों की विस्तार से जानकारी दी गयी थी। तब खुलासा हुआ था कि रिशु रंजन सिन्हा उर्फ रिशु श्री बड़े पैमाने पर सरकारी अधिकारियों और ठेकेदारों के बीच लेन-देन में बिचौलिया की भूमिका निभाता था। वह संजीव हंस के लिए विभिन्न कंपनियों से होने वाले वित्तीय लेन-देन में भी बिचौलिया के रूप में काम किया करता था। ईडी की सिफारिश के बाद बिहार सरकार ने अपने स्तर से कार्रवाई से पूर्व सारी औपचारिकताएं पूरी की और अब प्राथमिकी दर्ज की।
ईडी ने की थी एफआइआर की सिफारिश
दरअसल इस मामले में कार्रवाई से पहले बिहार के गृह विभाग ने महाधिवक्ता कार्यालय से राय मांगा था। महाधिवक्ता ने एफआईआर दर्ज करने के लिए पर्याप्त आधार होने की सलाह दी। इसके बाद SVU ने संजीव हंस और रिशु रंजन सिन्हा के खिलाफ मामला दर्ज किया। इस सारी कवायद में करीब एक महीने लग गए। विदित हो कि ईडी ने बिहार के भवन निर्माण विभाग के मुख्य अभियंता तारणी दास समेत कई अधिकारियों के ठिकानों पर छापेमारी की थी। तारणी दास के घर से 8 करोड़ रूपये नगद मिले थे, जबकि ईडी की कार्रवाइयों के दौरान कुल साढ़े 11 करोड़ रूपये से ज्यादा की बरामदगी हुई थी। मालूम हो कि ईडी द्वारा ये सारी कार्रवाई रिशु से मिले इनपुट पर की गई थी।