भारतीय जनता पार्टी ने सिक्किम में 31 विधानसभा सीट पर चुनाव लड़ा। लेकिन वह एक भी सीट नहीं जीत पायी। पार्टी ही नहीं, देश के लोग भी पूछ रहे कि जबर्दस्त मोदी लहर के बावजूद सिक्किम में भाजपा का खाता भी क्यों नहीं खुला। इसकी मूल वजह भाजपा से केंद्र में दोस्ती और राज्य में कुश्ती करने वाला वह शख्स है जिसने इसबार विधानसभा चुनाव में सभी दलों का सफाया कर दिया है। जी हां सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा के प्रेम सिंह तमांग। राज्य में बीजेपी और सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा का गठबंधन चुनाव से पहले ही टूट गया था जिसके बाद दोनों पार्टियों ने अलग-अलग चुनाव लड़ा।
केंद्र में एसकेएम मोदी सरकार की सहयोगी
सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा के मुखिया और राज्य के सीएम प्रेम सिंह तमांग सहयोगी दल के रूप में बीजेपी का केंद्र में समर्थन कर रहे हैं। उन्हें मोदी समर्थक और भाजपा का दोस्त माना जाता है। लेकिन इस बार के विधानसभा चुनाव में उन्हीं की वजह से बीजेपी सिक्किम में जीरो नंबर तक पहुंच गई। बीजेपी के इस खराब प्रदर्शन की वजह एसकेएम और बीजेपी का अलग-अलग चुनाव लड़ना माना जा रहा है।
सीट बंटवारे पर नहीं बन पाई थी सहमति
मालूम हो कि सिक्किम के निवर्तमान विधानसभा में उसके 12 सदस्य थे। लेकिन कल समाप्त हुई मतगणना में उसे किसी सीट पर जीत हासिल नहीं हुई। सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा (एसकेएम) ने 32 में से 31 सीटें जीतकर लगभग सारे दलों का सफाया कर दिया। सिक्किम में इस बार बीजेपी को केवल 5.18 प्रतिशत वोट ही मिल सके। बीजेपी ने लाचेन मंगन सीट को छोड़कर 31 विधानसभा सीट पर चुनाव लड़ा और अधिकांश सीटों पर बीजेपी के उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई। विधानसभा चुनाव में भाजपा और एसकेएम में तालमेल नहीं होने का कारण यह था कि दोनों दलों के बीच सीट बंटवारे पर सहमति नहीं बन पाई थी।