बिहार की 5 सीटों पर तीसरे चरण में 7 मई को वोट पड़ेंगे। ये सीटें हैं—झंझारपुर, सुपौल, अररिया, मधेपुरा और खगड़िया हैं। 2019 में इन पांचों सीटों पर एनडीए ने कब्जा किया था। इस बार इन पांच सीटों में से तीन पर जदयू, एक पर भाजपा और एक सीट पर लोजपा आर के उम्मीदवार खड़े हैं। वहीं इंडिया अलायंस की बात करें तो यहां भी तीन सीट पर राजद और एक—एक सीट पर वीआईपी तथा माकपा चुनाव लड़ रहे। यदि दोनों गठबंधनों की तुलना करें तो इन पांच सीटों पर जहां राजद को भीतरघात का सामना है वहीं एनडीए अपनी विनिंग साख बचाने के लिए एड़ी—चोटी का जोर लगा रहे हैं।
अररिया में PM की सभा का असर
बात करें अररिया की तो यहां मुख्य मुकाबला भाजपा के प्रदीप सिंह और राजद को शहनवाज आलम के बीच है। हाल में प्रधानमंत्री मोदी की यहां चुनावी सभा होने के बाद एनडीए काफी मजबूत हालत में है। इस कुनबे में जो थीड़ी बहुत नाराजगी थी, वह पीएम की सभा के बाद नहीं रही और पूरा एनडीए कुनबा यहां जमकर ग्राउंड वर्क करने में जुटा है। वहीं बात राजद की करें तो टिकट नहीं मिलने से पूर्व एमपी सरफराज आलम का भीतरघात मौजूदा राजद प्रत्याशी को झेलना पड़ रहा।
मधेपुरा में दिनेश यादव की पकड़
इसी तरह अगर हम मधेपुरा और खगड़िया सीटों पर नजर डालें तो जहां एनडीए ने नए और पुराने चेहरों का कंबीनेशन मैदान में उतारा है, वहीं राजद खेमे ने दोनों ही जगहों पर नया कैंडिडेट ही दिया है। मधेपुरा में जदयू ने अपने कद्दावर और राजनीति के पुराने खिलाड़ी दिनेश चंद्र यादव पर ही भरोसा किया है। यहां दिनेश यादव की अपनी जाति के साथ ही मुसलमानों के बीच भी अच्छी पकड़ है। सवर्ण वोट तो उन्हें मिलेंगे ही। ऐसे में श्री यादव यहां काफी अच्छे पोजिशन में हैं। वहीं राजद ने यहां नए प्रत्याशी प्रो.चंद्रदीप को मैदान में उतारा है।
खगड़िया में नए चेहरों के बीच लड़ाई
खगड़िया में लोजपा आर ने पूर्व एमपी महबूब कैसर का टिकट काट राजेश वर्मा को टिकट दिया है। इनके मुकाबले में माकपा ने भी संजय कुमार के रूप में नया चेहरा उतारा है। यहां राजेश वर्मा युवा होने के साथ ही काफी गांव—गांव जाकर आम लोगों के बीच कड़ी परिश्रम कर रहे हैं। उन्हें इस काम में सांगठनिक मदद भी प्राप्त हो रही है। खासकर महादलित और दलित समुदाय के बीच। वहीं संजय कुमार को राजद के कोर वोटबैंक के साथ ही महबूब अली कैसर के साथ की दरकार है।
झंझारपुर में गुलाब का इंडी को झटका
अब बात करें झंझारपुर सीट की तो यहां इंडिया अलायंस में यह सीट वीआईपी खाते में गई है। लेकिन यहां राजद से बागी होकर बसपा टिकट पर खड़े हो गए गुलाब यादव ने सारा खेल ही बिगाड़ दिया है। ऐसे में जदयू के रामप्रीत मंडल के लिए यहां की राह काफी आसान हो चली है। झंझारपुर सीट पर 2019 में गुलाब यादव राजद टिकट पर लड़े थे। लेकिन इस बार उन्हें टिकट नहीं देकर सीट ही वीआईपी को दे दी गई। बस वे बागी हो गए और बसपा टिकट पर फाइट में आ गए।