आज 1 जुलाई से देशभर में तीन नए आपराधिक कानून लागू कर दिये गए। इन नए कानूनों के लागू होने के बाद ब्रिटिश काल में बने कानूनों की भारत से विदाई हो गई। अब ब्रिटिश कालीन भारतीय दंड संहिता, दंड प्रक्रिया संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम लागू किया गया है। उदाहरण के लिए पहले धोखाधड़ी और ठगी के लिए हम सबकी जुबां पर धारा 420 थी। लेकिन अब यह बदल गया है। अब धोखाधड़ी और ठगी के लिए धारा 318 लगेगी। नए कानून लागू होने के बाद आम लोगों के पास पुलिस की पहुंच आसान होगी। पूरा सिस्टम ऑनलाइन होगा।
अब IPC बदलकर भारतीय न्याय संहिता हुई
इसी तरह हत्या, रेप, डकैती, चोरी समेत हर धारा का नंबर भारतीय न्याय संहिता में बदल गया है। आईपीसी की दफा 302 बदलकर भारतीय न्याय संहिता में धारा 103 हो गई है। एक जुलाई से जो भी मुकदमा दर्ज होगा, नए कानून के हिसाब से केस चलेगा। लेकिन, पहले से दर्ज मामले और उसका मुकदमा वैसे ही चलता रहेगा जैसा चल रहा है। नए कानून में राजद्रोह को जगह नहीं मिली है लेकिन टेरर एक्ट, संगठित अपराध को भारतीय न्याय संहिता में शामिल किया गया है। मौजूदा आईपीसी में 511 धाराएं हैं जबकि नए कानून यानी बीएनएस में 357 धाराएं हैं। करीब 175 धाराओं में बदलाव किया गया है।
आधुनिक न्याय प्रणाली लागू करने की कवायद
नये कानूनों से एक आधुनिक न्याय प्रणाली स्थापित होगी जिसमें ‘जीरो एफआईआर’, पुलिस में ऑनलाइन शिकायत दर्ज कराना, ‘एसएमएस’ (मोबाइल फोन पर संदेश) के जरिये समन भेजने जैसे इलेक्ट्रॉनिक माध्यम और सभी जघन्य अपराधों के वारदात स्थल की अनिवार्य वीडियोग्राफी जैसे प्रावधान शामिल होंगे। इसके अलावा महिलाओं, पंद्रह वर्ष की आयु से कम उम्र के लोगों, 60 वर्ष की आयु से अधिक के लोगों तथा दिव्यांग या गंभीर बीमारी से पीड़ित लोगों को पुलिस थाने आने से छूट दी जाएगी और वे अपने निवास स्थान पर ही पुलिस सहायता प्राप्त कर सकते हैं। नये कानूनों के तहत अब कोई भी व्यक्ति पुलिस थाना गये बिना इलेक्ट्रॉनिक संचार माध्यम से घटनाओं की रिपोर्ट दर्ज करा सकता है।
अब राजद्रोह की जगह देशद्रोह का कानून
नये कानूनों के तहत आपराधिक मामलों में फैसला मुकदमा पूरा होने के 45 दिन के भीतर आएगा और पहली सुनवाई के 60 दिन के भीतर आरोप तय किए जाएंगे। मॉब लिंचिंग के लिए अलग से प्रावधान किया गया है और मौत की स्थिति में फांसी की सजा हो सकती है। नए कानून में शादी का वादा कर संबंध बनाने को रेप के दायरे से बाहर अलग अपराध बनाया गया है। साथ ही 12 साल तक की बच्ची से रेप में फांसी तक की सजा का प्रावधान किया गया है। अब राजद्रोह की जगह देशद्रोह का कानून लाया गया है और सभी तलाशी तथा जब्ती की कार्रवाई की वीडियोग्राफी कराना अनिवार्य कर दिया गया है।
बच्चों और महिलाओं के खिलाफ अपराध पर नया अध्याय
महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराधों पर एक नया अध्याय जोड़ा गया है, किसी बच्चे को खरीदना और बेचना जघन्य अपराध बनाया गया है और किसी नाबालिग से सामूहिक दुष्कर्म के लिए मृत्युदंड या उम्रकैद का प्रावधान जोड़ा गया है। नये कानूनों में महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराधों की जांच को प्राथमिकता दी गयी है जिससे मामले दर्ज किए जाने के दो महीने के भीतर जांच पूरी की जाएगी।
जीरो एफआईआर से पुलिस की आमजन तक पहुंच आसान
‘जीरो एफआईआर’ से अब कोई भी व्यक्ति किसी भी पुलिस थाने में प्राथमिकी दर्ज करा सकता है, भले ही अपराध उसके अधिकार क्षेत्र में नहीं हुआ हो। इससे कानूनी कार्यवाही शुरू करने में होने वाली देरी खत्म होगी और मामला तुरंत दर्ज किया जा सकेगा। इसके अलावा गिरफ्तारी की सूरत में व्यक्ति को अपनी पसंद के किसी व्यक्ति को अपनी स्थिति के बारे में सूचित करने का अधिकार दिया गया है। इससे गिरफ्तार व्यक्ति को तुरंत सहयोग मिल सकेगा।