पटना: स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद जिस दिन से हमारा अपना संविधान लागू हुआ, उस दिन के महत्व को समझते हुए प्रतिवर्ष हमलोग रिपब्लिक डे मनाते हैं। भारत रिपब्लिक है, क्योंकि पब्लिक के हाथ में ही सत्ता की चाबी होती है। उक्त बातें प्रख्यात चिकित्सक पद्मश्री डॉ. शांति राय ने रविवार को कहीं। वे बिहार सांस्कृतिक विद्यापीठ में आयोजित गणतंत्र दिवस के मुख्य समारोह में झंडोतोलन के बाद संबोधन कर रही थीं। उन्होंने कहा कि भले ही देश में विभिन्न पार्टियों से विभिन्न विधायक और सांसद चुनाव में चुनकर जाते हैं। भले ही किसी भी पार्टी की सरकार हो और आपके क्षेत्र का जन प्रतिनिधि कोई हो, लेकिन हर हाल में सत्ता की सर्वोच्च शक्ति यहां के लोगों में ही निहित होती है।
बिहार सांस्कृतिक विद्यापीठ के कुलपति तथा भारत साधु समाज के महामंत्री स्वामी केशवानंद जी ने कहा कि यह सच है कि बिहार सांस्कृतिक विद्यापीठ में कुछ समय से अवरोध उत्पन्न हो गया है, जिससे बच्चों के शिक्षण का कार्य रुका हुआ है। लेकिन हम विधिसम्मत तरीके से सारी प्रक्रियाओं को पूरी करते हुए आगे बढ़ रहे हैं और शीघ्र ही इस संस्था में फिर से वैदिक शिक्षा समेत मूल्य आधारित शिक्षण प्रणाली के साथ शिक्षण कार्य आरंभ होगा। उन्होंने कहा कि सनातन सेवा मंडल द्वारा गुजरात के द्वारका में 500 विद्यार्थियों को भारत की संस्कृति पर आधारित मूल्यनिष्ठ शिक्षा दी रही दी जा रही है। इनमें से कई विद्यार्थी नि:शुल्क शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं।
श्रीराम कर्मभूमि न्यास के अध्यक्ष और धार्मिक ग्रंथों के आख्यानकर्ता कृष्णकांत ओझा ने संविधान सभा में हुई बहस का संदर्भ देते हुए संविधान के भारतीय मूल्यों की चर्चा की और कहा कि पश्चिम के चश्मे से भारतीय संविधान को देखने पर यह एक जड़ वस्तु की भांति प्रतीत होता है। लेकिन, भारतीय दृष्टि से देखने पर इसके अंदर जीवंत धारा परिलक्षित होती है। उन्होंने धर्मनिरपेक्ष और पंथनिरपेक्ष शब्दों के बीच अंतर स्पष्ट करते हुए कहा कि भारत के मूल संविधान में सेक्युलर शब्द नहीं था, जिसे बाद के वर्षों में तुष्टीकरण की राजनीति के प्रभाव में जाकर जोड़ा गया है।
बिहार सांस्कृतिक विद्यापीठ के उप-सचिव व जाने-माने शल्य चिकित्सक डॉ. सुरेंद्र राय ने धन्यवाद ज्ञापन करते हुए जानकारी दी कि विद्यापीठ द्वारा प्रतिवर्ष वसंत पंचमी का आयोजन भव्य तरीके से किया जाता है, क्योंकि इस दिन का एक सुखद संयोग है कि इसी पावन दिन पर इस संस्था की स्थापना हुई थी। इस अवसर पर गिरिजा शंकर शर्मा, श्यामनंदन प्रसाद, राजदेव सिंह, सत्यपाल श्रेष्ठ, प्रशांत रंजन, डॉ. सोनू प्रताप समेत कई चिकित्सक, अधिवक्ता, शिक्षक, रंगकर्मी व कई संस्थानों के विद्यार्थी बड़ी संख्या में उपस्थित थे।