रांची से अलकायदा इंडियन सबकॉन्टिनेंट मॉडयूल का जो समाचार मिल रहा है वह भारत के लिए खतरे की घंटी जैसा है। से कथित तौर पर संबंध रखने वाले डॉ इश्तियाक अहमद के तार रांची में जमीन घोटाले में शामिल आरोपियों से भी जुड़ने लगे हैं। इस मामले में ईडी ने डॉ इश्तियाक के करीबी और लेक व्यू अस्पताल के संचालक बबलू खान को समन किया है। बबलू खान का जुड़ाव एक राजनीतिक दल से भी बताया जा रहा है।
‘गृहयुद्ध’ की योजना
आईबी जैसे संगठनों के फिडबैक पर एटीएस, एसटीफ और दिल्ली पुलिस के स्पेशल सेल ने रांची, हजारीबाग और लोहरदगा के 16 गुप्त ठिकानों पर जब छापामारी की तब उनकी आंखें फटी रह गयी। ये आतंकी मॉड्यूल भारत के भीतर बड़े पैमाने पर ‘खिलाफत’ की योजना पर तेजी से काम कर रहा है। इस योजना को जमीन पर उतारने के लिए हजारों की संख्या में नौजवानों को भर्ती कर उन्हें प्रशिक्षित किया जा रहा है। इनकी ट्रेनिंग राजस्थान के भीवाड़ी में कराई जा रही थी। राजस्थान के भिवाड़ी में जो 6 आतंकी हथियार के साथ पकड़े गए थे, उनसे मिली जानकारी पर जब जांच आगे बढ़ी तब उनका कनेक्शन झारखंड से निकला। इनके पास से अत्याधुनिक हथियार बरमाद हुए हैं।
जांच में जो बातें सामने आयी हैं उसके अनुसार बंगाल, बिहार और झारखंड के उन क्षेत्रों में गृहयुद्ध कराना था जहां मुसलमान बहुसंख्यक हैं। इस रिपोर्ट की बात सामने आने के बाद समाजवादी पृष्ठभूमि वाले वरिष्ठ पत्रकार ने अपने सोशल मीडिया पर लिखा कि आत्म रक्षा के लिए आम लोगों को आंग्नेयास्त्रों के लाइसेंस देने में राष्ट्रवादी राज्य सरकारें उदारता दिखाएं। अन्यथा, बाद में पछताना पड़ेगा यदि खुर्शीद-मणिशंकर की धमकी इस देश में भी अचानक लागू हो गयी।
सुरेंद्र किशोर की गणना देश के चोटी के पत्रकारों में होती है जिन्होंने कभी सत्ता से कभी समझौता नहीं किया। वे सचमुच आदरणीय है। उनकी टिप्पणी का अर्थ यह हुआ कि तुष्टिकरण की राजनीति के कारण भारत और भारत के लोग संकट में हैं।
इन खबरों के आए कई घंटे बीत गये हैं परन्तु अब तक किसी सेक्युलर दल या नेता ने इस असाधरण व भयावह राष्ट्रविरोधी षड्यंत्र पर मुंह नहीं खोला।
रक्षा जमीन घोटालेबाजों से संबंध
यहां एक और गंभीर बात की खुलासा हुई है। रांची से अलकायदा की गतिविधि को संचालित करने वालों के कब्जे में रक्षा जमीन घोटाले के काले पैसे जमा हैं। इसका मतलब यह हुआ कि देश में रक्तपात कराने की योजना पर काम करने वालों को भ्रष्ट नेताओं से ताकत मिल रही है। कुछ दिन पहले कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद और मणिशंकर अय्यर यह धमकी दे चुके हैं कि बांग्ला देश भारत में भी दोहराया जा सकता है।
कुछ साल पहले बिहार के कुछ जिलों में में जेहादियों के स्लीपर सेल की मौजूदगी के प्रमाण मिले थे। सेक्युलरवाद के नाम पर तुष्टिकरण की राजनीति ने उन मामलों पर कार्रवाई नहीं होने दी थी। यहां तक कि अखबारों को इससे सम्बंधित खबर नहीं छापने तक की हिदायत दी गयी थी। सत्ता की राजनीति यदि जेहादियों के स्लीपर सेल को फलने-फूलने में मदद करती रही तो वह दिन दूर नहीं जब मणिशंकर व खुर्शीद जैसे नेताओं की भविष्यवाणियां सत्य होने लगे।