सोनपुर रेल मंडल अंतर्गत रेलवे में नौकरी दिलाने के एक फर्जी भर्ती रैकेट का भंडाफोड़ हुआ है। रेल पुलिस ने इस सिलसिले में एडीआरएम के रसोइए समेत कई लोगों को गिरफ्तार किया है। रेलवे में फर्जी भर्ती का यह रैकेट कई सालों से चल रहा है और इसका नेटवर्क गया, पटना, सोनपुर, समस्तीपुर और मोतिहारी तक फैला हुआ है। इसमें 5 लाख रुपये लेकर नौकरी दिलाने का वादा किया जाता था। इसके बाद कैंडिडेट को फर्जी मेडिकल और ट्रेनिंग भी दी जाती थी। सारा मामला तब प्रकाश में आया जब एक फर्जी कर्मचारी सोनपुर स्टेशन पर ‘बुकिंग क्लर्क’ लिखा आई-कार्ड लेकर घूम रहा था। रेलवे के नियमों के अनुसार, कॉमर्शियल विभाग के आई-कार्ड पर ‘कॉमर्शियल लिपिक’ लिखा होता है। इस गलती से पूरा मामला सामने आ गया। इस रैकेट में कई रेल कर्मचारियों की संलिप्तता का शक है और जीआरपी गहराई से जांच कर रही है।
बताया जाता है कि इस फर्जी भर्ती रैकेट में शामिल लोग भोले-भाले लोगों को नौकरी दिलाने के नाम पर फांसते थे और फिर इंटरव्यू और ट्रेनिंग के नाम पर उनसे लाखों रुपए ठग लेते थे। कैंडिडेट का पटना के रेलवे सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल में फर्जी मेडिकल भी कराया जाता था ताकि किसी को शक न हो। जीआरपी ने इस मामले में एडीआरएम के रसोइये संजय कुमार मिश्रा को पकड़ा है। वह सोनपुर पहाड़ीचक का रहने वाला है। संजय रेल फाटक पर तैनात था लेकिन एडीआरएम के घर पर रसोइया का काम भी करता था। इसके अलावा पांच और लोगों को पहले ही गिरफ्तार किया जा चुका है।
एडीआरएम के रसोइया संजय से जीआरपी गहन पूछताछ कर रही है। उसने अब तक बताया है कि इंटरव्यू और ट्रेनिंग लेकर भारत के विभिन्न स्टेशनों पर फर्जी रेल कर्मियों को भेजा गया। पकड़े गए गेटमैन पर इंटरव्यू कराने और ट्रेनिंग दिलाने का आरोप है। पुलिस का कहना है कि इस मामले में कई रेल कर्मचारी शामिल हो सकते हैं। जांच के दौरान एक बुकिंग क्लर्क से बहुत सारे फर्जी भर्ती के आई-कार्ड मिले हैं। इससे आशंका है कि मामले में कॉमर्शियल विभाग के रेल कर्मी भी शामिल हो सकते हैं। जीआरपी सोनपुर डीआरएम कार्यालय और परिसर में लगे सीसीटीवी फुटेज भी ख्ंगाल रही है ताकि उन लोगों की पहचान की जा सके जो इस पूरे रैकेट में किसी भी तरह से शामिल हैं।