पटना मेडिकल कालेज के चिकित्सकों और शिक्षकों की अपनी-अपनी विशेषता थी। प्रख्यात चिकित्सक व शिक्षक डॉ. वीएन सिंह की अद्भुत प्रशासनिक क्षमता की चर्चा अब भी होती है। कालेज के प्राचार्य के रूप में डॉ. वीएन सिंह की प्रशासनिक क्षमता के कई उदाहरण हैं। उनमें एक डॉ. अनन्त प्रसाद सिंह से सम्बन्धित है। उन दिनों पीएमसीएच में कैनाडा से ट्रेनर नर्सेस आई थीं। एक दिन उनमें से एक ने एक नर्स से कह दिया, ‘‘यू ब्लडी इण्डियन! यू विल नेवर लर्न।’’ अनन्त प्रसाद सिंह पास में ही खड़े थे। उन्होंने उसका विरोध किया। गोरी चमड़ीवाली नर्सों को उनका विरोध नागवार गुजरा। उस नर्स ने सुपरिंटेंडेंट के पास शिकायत कर दी। डॉ. अनन्त को हॉस्पिटल से हटाने का फरमान जारी कर दिया गया। विदेशों में सीनियर नर्सों को यह अधिकार है।
बात वीएन सिंह तक पहुंच गयी। उन्होंने इनसे कहा, ‘‘अनन्त, तुम इन नर्सों से क्यों उलझते हो।’’ डॉ. अनन्त ने कहा, ‘सर, मेरी जगह आप होते तो आप भी बर्दाश्त नहीं करते। उन लोगों ने कहा था। यू ब्लडी इण्डियन डफर्स।’’ इस पर उनकी प्रतिक्रिया थी, ‘‘अनन्त, आई वाण्टेड टु रिब्युक यू। बट नो मोर, गो एण्ड वर्क।’’ इसके बाद डॉ. अनन्त पूर्ववत काम करने लगे। परिणाम हुआ, वे कैनाडियन नर्सें वापस भेज दी गई।
एक दिन पटना कालेज के छात्र नारा लगाते पीएमसीएच पहुंच गए। वहां के छात्रों को भी क्लास से वाक आउट करवा दिया। सारे छात्र कैंटीन में जा बैठे। डॉ. वीएन सिंह को जब पता चला तब वे वहीं पहुंच गए। उन्होंने कहा, ‘‘देखो, ये पटना कालेज के छात्र आर्ट के विद्यार्थी हैं। उनमें से अधिकतर को नेता बनना है। तुम्हें डाक्टर बनना है, नेता नहीं। जाओ, क्लास जाओ।’’ सारे छात्र चुपचाप क्लास करने चले गए।
एक मेडिकल स्टूडेंट की पीएमसीएच में मृत्यु हो गयी थी। इसके विरोध में छात्र हड़ताल पर चले गए थे। लड़के चिकित्सक पर कार्रवाई की मांग कर रहे थे। उनकी मीटिंग हॉल में हो रही थी। तभी डॉ. वीएन सिंह, डॉ. शरण के साथ वहां पहुंचे। सारे लड़के शांत हो गए। मंच पर आ कर उन्होंने कहा, ‘‘मैं निश्चित उनके विरुद्ध एक्शन लूंगा। पर अभी आधा पटना बाढ़ में डूबा है। लोगों को मदद की जरूरत है। नावें तैयार हैं। डॉ. शरण आप के साथ जायेंगे।’’ हड़ताल समाप्त, सेवा शुरू। चौहत्तर में पटना में भीषण बाढ़ आई थी। अशोक राज पथ को छोड़ कर पूरा पटना रात भर में डूब गया था, किसी को संभलने का मौक़ा नहीं मिला था। चौबीस घंटे बाद ही मदद पहुंच पायी थी। जब टीम डॉ. एसएन आर्या के घर पहुँची तब प्यास से उनका बुरा हाल था। ‘‘पहले पानी पिलाओ’’ उनकी यही प्रतिक्रया थी।
एक बार ओल्ड हास्टल में छात्रों के दो गुटों के बीच मारपीट हो गयी। पुलिस को किसी ने सूचना दे दी। तत्काल पुलिस वहां पहुंच गयी। पीछे से डॉ. वीएन सिंह भी वहां पहुंच गए। पुलिस अधिकारी पर उनका गुस्सा फूट पड़ा। उन्होंने कड़कते हुए कहा ‘‘किसकी इजाजत से आप यहां आए हैं। ये लड़के हमारे हैं, मैं इनका गार्जियन हूं। कोई समस्या है, मैं देखूंगा। मैं जब बुलाउंगा, तभी आप आएंगे।’’ सारे पुलिसकर्मी वापस चले गए। समस्या को उन्होंने बड़े शांतिपूर्वक हल कर दिया।
डॉ. वीएन. सिंह ने बटन होल इंसीजन के द्वारा ऐपेंडिक्स निकालने का प्रयोग प्रारम्भ किया था। इसके लिए उन्हें याद किया जाता है। इसके लिए उनकी चर्चा इतनी हुई कि जब सिने कलाकार निम्मी को ऐपेंडिसायटिस का एटैक हुआ, तो इन्हीं को ऑपरेशन के लिए बुलाने की बात चल रही थी। डॉ. वीएन सिंह पीएमसीएच. के सर्जरी विभाग के पर्याय बन गए थे।