अररिया को सीमांचल में भाजपा का एकमात्र और सेफ किला माना रहा क्योंकि यहां राजद अपने भीतरघात से जूझ रहा। यहां वोटिंग तो तीसरे चरण में 7 मई को है, लेकिन एनडीए आज दूसरे चरण की वोटिंग के लिए भी इसे एक अवसर की तरह ले रहा। यही कारण है कि यहां आज प्रधानमंत्री मोदी ने चुनावी सभा की जिसमें वे अपने एनडीए कुनबे को एकजुट करने के साथ ही जीत का पंच भी दे गए।
सीधी फाइट में भीतरघात से बेहाल राजद
अररिया में एनडीए प्रत्याशी के तौर पर भाजपा के प्रदीप कुमार सिंह और इंडिया गठबंधन की ओर से राजद के शाहनवाज आलम के बीच सीधा मुकाबला है। लेकिन राजद प्रत्याशी के लिए असल मुश्किल यहां के दिग्गज नेता रहे तस्लीमुद्दीन की विरासत संभालने के लिए उनके बेटों के बीच छिड़ी जंग का है। यहां राजद ने तस्लीमुद्दीन के बड़े बेटे सरफराज आलम का टिकट काटकर छोटे बेटे शाहनवाज आलम को इस बार टिकट दिया है। इससे सरफराज आलम काफी क्षुब्ध हैं और खुलकर अपने छोटे भाई शहनवाज आलम का विरोध कर रहे।
भाजपा कुनबे को एकजुट कर गए पीएम
इधर भाजपा कुनबे में भी प्रत्याशी प्रदीप सिंह स्थानीय नेताओं और कार्यकर्ताओं की नाराजगी से जूझ रहे हैं। लेकिन पीएम मोदी की रैली ने इन नेताओं—कार्यकर्ताओं की नाराजगी को हवा कर दिया। पीएम की रैली अररिया ही नहीं आसपास के चुनावी जिलों पर भी असरदार कही जा रही। एक तरह से इस रैली ने सीमांचल और उससे सटे संसदीय सीटों वाले इलाकों में एनडीए के सोए कार्यकर्ताओं में जान फूंक दी है। यहां तक कि नाराज चल रहे नरपतगंज के पूर्व विधायक और दिग्गज भाजपाई जनार्दन यादव को भी समझाने में पीएम की यह रैली कामयाब रही। इसके साथ ही अंदरखाने से खबर है कि पीएम ने अररिया भाजपा जिलाध्यक्ष आदित्य नारायण झा को नाराज चल रहे पुराने लोगों को गोलबंद करने का स्पष्ट संदेश दे दिया है।
तस्लीमुद्दीन की विरासत की जंग भारी
सीमांचल की सियासत की बात करें तो यहां की सियासत तस्लीमुद्दीन के इर्द-गिर्द शुरू से घूमती रही है। तस्लीमुद्दीन के निधन के बाद 2018 में हुए उपचुनाव में राजद ने तस्लीमुद्दीन के बड़े बेटे सरफराज आलम को उम्मीदवार बनाया जिसमें जीत हासिल कर सरफराज आलम ने पिता की विरासत संभाल लिया। लेकिन 2019 के चुनाव में सरफराज यहां से भाजपा के प्रदीप कुमार के हाथों हार गए। अब 2024 में राजद ने यहां से सरफराज आलम की जगह तस्लीमुद्दीन के छोटे बेटे शहनवाज आलम को टिकट दिया। सरफराज आलम को इस बार राजद द्वारा टिकट नहीं दिये जाने से उनके समर्थकों का बड़ा गुट नाराज है। नाराज सरफराज आलम ने अपने समर्थकों के साथ मीटिंग की जिसमें वे फफक कर रोए इसका वीडियो भी अररिया में खूब वायरल हुआ।
कौन है राजद का दूसरा बगावती चेहरा?
अररिया में राजद के लिए भीतरघात का सिलसिला यहीं नहीं रुकता…यहां आरजेडी को एक और बगावती खिलाड़ी ने बड़ा टेंशन दे रखा है। यह दूसरा बगावती खिलाड़ी और कोई नहीं, बल्कि अति पिछड़ा प्रकोष्ठ के प्रदेश उपाध्यक्ष डॉ शत्रुघ्न कुमार सुमन हैं जो राजद से बागी बनकर निर्दलीय चुनावी अखाड़े में कूद गए हैं। सुमन का अपनी जाति के वोटबैंक पर मजबूत पकड़ मानी जाती है। अगर वे अपनी जाति के तकरीबन साढ़े तीन लाख से अधिक वोटरों को साध गए तो अररिया सीट पर राजद कैंडिडेट की खाट खड़ी होना तय है।