पटना : कुशल रणनीतिकार से नेता बने प्रशांत किशोर की नई नवेली पार्टी जनसुराज में अभी से ही खटपट शुरू हो गई है। बेलागंज सीट से प्रोफेसर खिलाफत हुसैन ने नाम वापस लेने के बाद मीडिया से बात करते हुए खुद प्रशांत किशोर पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि उन्होंने स्वेच्छा से अपना नाम वापस नहीं लिया। प्रशांत किशोर के जोर और इब्लीसी शक्ति के प्रोपेगेंडा के कारण उन्हें चुनाव लड़ने से पीछे हटना पड़ा। साथ ही उन्होंने जन सुराज से उनके जगह पर मोहम्मद अमजद को पहले प्रत्याशी नहीं बनाए जाने का कारण भी बताया। इब्लीसी शक्ति से यहाँ उनका मतलब शैतानी ताकतों से है। साथ ही उन्होंने यह भी कह दिया कि बेला गंज से पार्टी का नया उम्मीदवार जनता के अनुरूप नहीं है।
2025 में टिकट का आश्वासन
एक चैनल से बात करते हुए प्रोफेसर खिलाफत हुसैन ने कहा कि उनके नाम की घोषणा के दो दिन बाद प्रशांत किशोर ने उन्हें आरा बुलाया था, जहां प्रशांत किशोर ने उनसे चुनाव नहीं लड़ने का आग्रह करते हुए चिंता व्यक्त कर आपत्ति जताई। और 2025 में टिकट देने का आश्वासन दिया है। आगे उन्होंने कहा कि बेलागंज की जनता के अनुरूप जन सुराज ने प्रत्याशी का चयन नहीं किया। चुनाव में क्या होगा यह कहना अभी से संभव नहीं है, लेकिन व्यक्तिगत तौर पर हम पार्टी के साथ हैं। हम प्रशांत किशोर को बड़ा भाई मानता हूं। पार्टी के खिलाफ बात करना वसूल के खिलाफ है।
चार में से दो की उम्मीदवारी बदली
दअरसल, बिहार में चार सीटों पर हो रहे विधानसभा उपचुनाव में प्रशांत किशोर की नई नवेली पार्टी जनसुराज के भी चार उम्मीदवारों ने अपना नामांकन दर्ज करवाया। लेकिन, बाद में दो उम्मीदवारों का नाम वापस ले लिया गया। पहला नाम तरारी से एसके सिंह और दूसरा बेलागंज से प्रोफेसर खिलाफत हुसैन का है। वहीँ, प्रशांत किशोर के द्वारा बताया गया था कि दोनों प्रत्याशियों का नाम अलग अलग परिस्थितियों के कारण बदला गया है। वैसे, एसके सिंह की बात करें तो उनका बिहार के किसी भी जिले के वोटर लिस्ट में नाम शामिल नहीं होने के कारण उम्मीदवारी से पीछे हटना पड़ा।