भोजपुरी के पॉवर स्टार पवन सिंह भारतीय जनता पार्टी में वापस लौट गए हैं। नई दिल्ली में आज मंगलवार को उपेंद्र कुशवाहा से मीटिंग के बाद भाजपा नेता और बिहार प्रभारी विनोद तावड़े ने यह ऐलान किया। कुशवाहा और पवन सिंह के साथ आने से शाहाबाद क्षेत्र में अब एनडीए के लिए चुनावी समीकरण बदल सकते हैं। बिहार की राजनीति में विधानसभा चुनाव से पहले यह शाहाबाद क्षेत्र में एनडीए के लिए एक मास्टर स्ट्रोक की तरह देखा जा रहा है। शाहाबाद में 2024 लोकसभा चुनाव के दौरान एनडीए को भारी नुकसान हुआ था। खासकर काराकाट सीट, जहां भोजपुरी सुपरस्टार और गायक पवन सिंह ने चुनावी मैदान में उतरकर पूरे समीकरण बदल दिए थे। हालांकि अब पवन सिंह के बीजेपी में लौट आने से अब यहां एनडीए सशक्त हालत में पहुंच गया है।
बताया जाता है कि बीती रात भाजपा के बिहार प्रभारी विनोद तावड़े और राष्ट्रीय सचिव ऋतुराज सिन्हा ने उपेंद्र कुशवाहा से मुलाकात की थी। इसी के बाद आज मंगलवार को पवन सिंह उपेंद्र कुशवाहा से मिलने पहुंचे और इस मुलाकात के बाद ही बीजेपी नेता विनोद तावड़े ने ऐलान किया कि पवन सिंह बीजेपी में थे और बीजेपी में ही रहेंगे। उधर बिहार विधानसभा चुनाव से पहले एनडीए और महागठबंधन में सीट बंटवारे को लेकर मंथन तेज है। पवन सिंह के बीजेपी टिकट पर आरा या किसी अन्य सीट से विधानसभा चुनाव लड़ने की भी चर्चा है। विदित हो कि शाहाबाद क्षेत्र की 22 सीटों में 2020 विधानसभा चुनाव में एनडीए को भारी नुकसान हुआ था। ऐसे में बीजेपी में वापसी करने वाले पवन सिंह और कुशवाहा के साथ आने से अब शाहाबाद में राजपूत-कुशवाहा समीकरण से महागठबंधन को भारी नुकसान हो सकता है।
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि बिहार की राजनीति में पवन सिंह जैसे स्टार चेहरे को नजरअंदाज करना किसी भी दल के लिए आसान नहीं है। उनकी लोकप्रियता न केवल भोजपुरी भाषी वोटरों में है, बल्कि ग्रामीण और शहरी इलाकों में भी उनका असर दिखता है। एनडीए को शाहाबाद में अपने परंपरागत राजपूत वोट को साथ रखने के लिए किसी मजबूत चेहरे की जरूरत थी और अब पवन सिंह के साथ आने से यह जरूरत पूरी हो गई है। पिछले लोकसभा चुनाव में लालू यादव ने कुशवाहा उम्मीदवारों को टिकट देकर यादव, मुस्लिम और कुशवाहा समीकरण बनाने की कोशिश की थी और इंडिया गठबंधन को इसका लाभ भी मिला था। लेकिन अब अगर राजपूत वोट बैंक पवन सिंह के साथ एनडीए की तरफ आता है और उपेंद्र कुशवाहा अपने स्वजातीय वोटर्स को साथ रखने में सफल होते हैं, तो महागठबंधन के समीकरण को तार—तार किया जा सकता है।