पटना : भारतीय भाषा दिवस पखवाड़ा के अवसर पर गुरुवार को पटना उच्च न्यायालय स्थित ब्रजकिशोर सभागार में एक विचार–गोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का उद्देश्य भारतीय भाषाओं की महत्ता, मातृभाषा के प्रयोग तथा न्याय व्यवस्था को लोकभाषा से जोड़ने पर गंभीर विमर्श करना रहा। समारोह के संबोधन में बिहार सरकार के विधि मंत्री ने कहा कि मातृभाषा में कार्य करने और न्याय पाने का अधिकार मिले, तभी सार्थकता होगी इसके बिना कुछ भी संभव नहीं है।
समारोह के मुख्य अतिथि बिहार सरकार के विधि मंत्री मंगल पांडेय ने कहा कि चिन्नास्वामी सुब्रमण्यम भारती जैसे विचारकों की सोच रही है कि समाज के हर वर्ग को अपनी मातृभाषा में कार्य करने और न्याय पाने का अधिकार मिले। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि न्याय को साकार करने के लिए विधि की भाषा को लोकभाषा बनाना अनिवार्य है। जब तक आम जनता को उसकी अपनी भाषा में न्याय नहीं मिलेगा, तब तक न्याय व्यवस्था पूरी तरह सार्थक नहीं हो सकती।
कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि पटना विधि महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. योगेंद्र कुमार वर्मा ने कहा कि हिंदी या देश की किसी भी लोकभाषा को मजबूत करने के लिए केवल सेमिनार और आयोजनों से काम नहीं चलेगा। आज़ादी के 75 वर्षों बाद भी अंग्रेज़ी के वर्चस्व से लोकभाषाएं मुक्त नहीं हो पाई हैं। इसके लिए ठोस कानून बनाकर व्यापक स्तर पर कार्य करने की आवश्यकता है। डॉ. वर्मा ने अपने संबोधन में कहा कि भाषाओं की एकता समाज को आपस में जोड़े रखने का सशक्त माध्यम है। भाषा में लोगों को एक साथ जोड़ने की मार्मिक भावना निहित है। भाषा, न्याय और जनता—इन तीनों को जोड़कर ही देश को सशक्त और महान बनाया जा सकता है।
कार्यक्रम के मुख्य वक्ता राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के क्षेत्र कार्यवाह डॉ. मोहन सिंह ने कहा कि भारतीय भाषाओं के आधार पर ही स्वामी विवेकानंद ने भारत को विश्व पटल पर प्रतिष्ठित किया। उन्होंने बताया कि डॉ. हेडगेवार के विचारों के अनुरूप संघ जन–जन को जोड़ने के लिए सतत कार्य कर रहा है।
उन्होंने कहा कि स्वराज केवल कल्पना नहीं, बल्कि उसे व्यवहार में उतारना होगा। भारतीय भाषाओं पर अनेक प्रहार हुए, लेकिन उन्होंने अपना अस्तित्व कभी नहीं खोया। आज़ादी के इतने वर्षों बाद भी शिक्षा, न्यायालय और संसद में हिंदी–अंग्रेज़ी के द्वंद्व में समाज उलझा हुआ है। भाषा परिवर्तन के लिए मातृभाषा को आत्मसात करना आवश्यक है।
मौके पर पटना उच्च न्यायालय के अधिवक्ता श्रीमती शिखा सिंह परमार, अधिवक्ता मनोज कुमार पाण्डेय के साथ ही कई अधिवक्ता मौजूद रहे। कार्यक्रम का समापन भारतीय भाषाओं के संरक्षण, संवर्धन और न्याय व्यवस्था में उनके व्यापक उपयोग के संकल्प के साथ हुआ।