पटना : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की पटना महाननगर इकाई द्वारा रविवार को राजाबाजार स्थित सांस्कृतिक विद्यापीठ में आयोजित विजयादशमी उत्सव में संघ के सहसरकार्यवाह आलोक कुमार ने कहा कि अपने संगठन की स्थापना के शताब्दी वर्ष में स्वयंसेवक पंच प्रयासों से समाज को संगठित कर समर्थ भारत के निर्माण के अपने सपनों को पूर्ण करेंगे। वे इस समारोह को मुख्य वक्ता के रूप में सम्बोधित कर रहे थे। वहीं इस समारोह के मुख्य अतिथि डा. अजीत प्रधान ने कहा कि शिक्षा, कौशल, स्वास्थ्य व स्वच्छता के माध्यम से विकसित भारत के निर्माण का लक्ष्य पूर्ण हो सकता है। समारोह के प्रारंभ में सशस्त्र पूजन कर विजयादशमी उत्सव का शुभारंभ किया गया। मुख्य अतिथि के बौद्धिक के बाद स्वयं सेवकों ने पथ संचलन भी किया। समारोह में मंच पर महानगर संघचालक डा. राजीव कुमार सिंह भी उपस्थित थे।
समारोह को सम्बोधित करते हुए सहसरकार्यवाह आलोक कुमार ने कहा कि लोक का कल्याण करने वाले हमारे सभी देवी-देवता अस्त्रशस्त्र धारण करते हैं। इसका अर्थ यह हुआ कि अपनी रक्षा के लिए हमें स्वयं को समर्थ बनाए रखना है। हजारों वर्षों पुरानी संस्कृति वाले इस देश पर पिछले एक हजार वर्ष से आक्रमण हुए हैं। इन हमलों के बावजूद हम फिर से उठ खड़े होते रहे है। आज के इस अवसर पर हमें इस बिंदु पर भी विचार करना होगा।
इस वर्ष 12 अक्टूबर को संघ अपने स्थापना का 100 वां वर्ष पूर्ण करने जा रहा है। हमने भारत को परकीय दासता से मुक्त कराने की लड़ाई में भी भाग लिया और देश के आजादी के बाद भी जब हम पर हमले हुए तब तन,मन धन से देश के साथ खड़ रहे। 1932 का जंगल सत्याग्रह इसका उदाहरण है। महात्मा गांधी ने दांडी यात्रा करके समुद्र के किनारे नमक बनाकर अंग्रेजों के कानून को तोड़ा था।
वहीं संघ के प्रथम सरसंघचालक डा. केशव बलराम हेडगेवार ने नागपुर के पास जंगल में प्रवेश कर जंगल सत्याग्रह कर जंगल का कानून तोड़ा था। इसके लिए उन्होंने कुछ दिनों के लिए सरसंघचालक का पद त्याग कर पदयात्रा की और जेल गए थे। आजादी के बाद जब चीन ने हम पर आक्रमण किया तब हमारे स्वयं सेवक अपनी सेना और पुलिस के साथ सहयोग के लिए खड़े हो गए। चीन युद्ध के बाद गणतंत्र दिवस परेड में संघ के तीन हजार स्वयं सेवकों ने भाग लिया था।
आजादी के बाद देश की एकता और अखंडता के लिए खतरनाक धारा 370 जिस दिन बनी उसी दिन से संघ के स्वयंसेवकों ने उसका विरोध शुरू कर दिया था। हमारे सतत प्रयास का परिणाम यह हुआ कि धारा 370 हमेशा के लिए समाप्त हो गयी। संघ की स्थापना के शताब्दी वर्ष में संघ ने स्वबोध और नागरिक कर्तव्य बोध को अपने प्रमुख करनीय कार्यों में शामिल किया है। हमारे देश में अपने ही देश की संस्कृति, अपने इतिहास की निंदा करने की घातक प्रवृति आजादी के बाद से अत्यंत बीभत्स होती आ रही है। इघर विदेशों में अपने देश के समाज व यहां की व्यवस्था को नीचा दिखाने वाले उदाहरण सामने आने लगे हैं। यह प्रवृति किसी शक्तिशाली देश में नहीं दिखती है।
उन्होंने कहा कि शताब्दी वर्ष में संघ के स्वयंसेवकों ने अपने लिए पंच परिवर्तनों का लक्ष्य निश्चित किया है। इन पंच परिवर्तनों में सामाजिक समरसता, पर्यावरण के अनुकूल जीवन शैली और चेतना, पारिवारिक मूल्यों के पुनस्र्थापना के लिए कुटुम्ब प्रबोधन, प्रत्येक भारतीय में स्व बोध का जागरण एवं नागरिक कर्तव्य बोध की दृश्टि से समाज जागरण शामिल है।