अब पाकिस्तान आगे बढ़ा रहा वामपंथियों का ऐजेंडा
वामपंथी इतिहासकारों की नजर में भगत सिंह आतंकी
पटना : पाकिस्तान के पंजाब प्रांत की सरकार ने हमारे स्वतंत्रता सेनानी भगत सिंह का आतंकवादी करार दे दिया। वीर सावरकर के बाद अब अमर शहीद भगत सिंह और चंद्रशेखर आजाद वामपंथी और जेहादियों के गठजोड के निशाने पर हैं। पाकिस्तान से भगत सिंह को आतंकी घोषित करने की खबर आने के बाद भारतीय स्तब्ध है। आप अपनी छाती पीटते रहिए। वहीं कुछ वामपंथी बुद्धिजीवी थैथरई पर उतारू हैं और उनकी नजरों में भगत सिंह क्रांतिकारी आतंकवादी थे।
वामपंथी इतिहासकारों ने क्रांतिकारियों को आतंकी…
1990 में ही भारतीयों के खून पीकर मस्ती करने वाले वामपंथी इतिहासकारों ने अपनी इतिहास की पुस्तकों में भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद, राजगुरु जैसे क्रांतिकारियों को आतंकी घोषित कर दिया। पुस्तक तो दस्तावेज होता है। कुछ दिनों बाद वह प्रमाण बन जाता है। आज वही प्रमाण भारतीयों के कलेजे में तीर बनकर प्रहार कर रहा है। भारत के करदाताओं के खून-पसीने की कमाई पर गुलछर्रे उडाने वाले वामी-कामी इतिहासकारों ने कालेज-यूनिवर्सीटी में पढ़ाये जाने वाली पुस्तकों में अपने देश के महापुरूषों को आतंकी बताने वालों ने भारत को नीचा दिखाने वाला ऐजेंडा सेट किया।
भारत को टुकडों में बांटने का सपना देखने वाले…
पाकिस्तान उसी ऐजेंडे को आगे बढ़ा रहा है। भारत को टुकडों में बांटने का सपना देखने वाले खालिस्तानी भी इस मामले में पाकिस्तान के साथ हैं। हालफिलहाल, पाकिस्तान से आने वाली एक खबर के बाद भारत में सनसनी फैल गयी। पाकिस्तान स्थित भगत सिंह मेमोरियल फाउंडेशन ने लाहौर हाईकोर्ट में मामला दायर कर सरकार से मांग की थी कि 1931 में अविभाजित भारत के लाहौर में जिस जगह पर शहीद भगत सिंह को फांसी दी गई थी, उस चौक का नाम शहीद भगत सिंह के नाम पर रखा जाए क्योकि वे हमारे भी स्वतंत्रता सेनानी थे। दरअसल, लाहौर के शादमान चौक का नाम भगत सिंह चौक रखने की मांग की गयी है।
…ब्रिटिश पुलिस युवा अधिकारी की हत्या की
पंजाब सरकार की ओर से तारिक मजीद ने कोर्ट में कहा कि भगत सिंह ने ब्रिटिश पुलिस युवा अधिकारी की हत्या की थी। इस प्रकार वे आतंकी थे। अतः उनकी मूर्ति लगाने की योजना रद्द कर दी गई है। भारत के लोगों ने जब इस मुद्दे को लेकर आक्रोश व्यक्त करना शुरू किया तब पाकिस्तानी मीडिया ने जवाबी कार्यक्रम चलाना शुरू कर दिया। पाकिस्तानी मीडिया ने दिल्ली विश्वविद्यालय के हिंदी माध्यम कार्यान्वयन निदेशालय द्वारा 1990 में प्रकाशित इतिहास की एक पुस्तक के हवाले से भगत सिंह जैसे कई क्रांतिकारी स्वतंत्रता सेनानियों को आतंकी बताने का अभियान चला दिया है।
चटगांव की घटना को बताया आतंकी कार्रवाई
विपीन चंद्र, मृदुला मुखर्जी, आदित्य मुखर्जी एवं सुचेता महाजन इन चार वामपंथी इतिहासकारों की टोली ने औपनिवेशिक शक्तियों व अपने गौड फादर रूस के इशारे पर भारत का स्वतंत्रता संघर्ष नाम से जो इतिहास लिखा उसमें हमारे स्वतंत्रता सेनानी भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद, सूर्य सेन के साथ ही अन्य क्रांतिकारियों को आतंकवादी बताया गया है। इसके साथ ही चटगांव की घटना को आतंकी कार्रवाई बताया गया है। इस पुस्तक के 20 वें अध्याय में इस प्रकार के आपतिजनक बातें लिखी गयी है। 1990 में प्रकाशित उस पुस्तक के लेखन का प्रोजेक्ट कांग्रेस की सरकार के समय उन्हें दिया गया था। इसके बाद केंद्र में वामपंथियों के सहयोग से वीपी सिंह की सरकार बनी जिसमें आसानी से वह प्रस्तक प्रकाशित हो गयी और पढ़ाई भी जाने लगी थी।
भारत में हिंसा का तांडव मचाने वाले खालिस्तानी
कांग्रेस और पीपी सिंह सरकार का यह पाप आज ऐजेंडा बनकर भारत के लोगों को अपार दुख दे रहा है। वामपंथियों के इस ऐजेंडे को पूरा करने में भारत में हिंसा का तांडव मचाने वाले खालिस्तानी आतंकी भी शामिल हो गए हैं। भिंडरावाले को अपना आदर्श मानने वाला निर्लज व पतित सिख और संगरूर का सांसद सिमरनजीत सिंह मान कहता है कि भगत सिंह आतंकवादी थे क्योंकि उन्हांेने एक नवजवान अंग्रेज अधिकारी की हत्या की थी। यह साधारण बात नहीं है लेकिन इस परस्वयं को इंडिया गठबंधन कहने वाले दलों के नेता मौन हैं क्योकि उन्हें एकमुश्त मुसलमान वोटों की चिंता है।
यदि पाकिस्तान को लेकर वे कुछ भलाबुरा कहेंगे तो हो सकता है पाकिस्तान को अपना मानने वाले जमात के करपरताज उनसे खफा हो जाएं। सावरकार को पानी पीपीकर गाली देने वाला यह जमात शहीद भगत सिंह और चंद्रशेखर आजाद को भी भलाबुरा कहने में संकोच नहीं करेंगे क्योंकि पापी वोट का मामला है। वोट से ही तो ऐशमौज किया जा सकता है। भारत और भारत के इतिहास से क्या लेना देना। लेकिन, ऐसे राजनीतिज्ञ गांठ बांध लें कि वोट के लिए उनकी पुरानी चालाकी के दिन लदने वाले हैं। खुद नहीं सुधरे तो जनता जनार्दन सुधार देगी। ऐसी सुधारेगी कि कहीं के नहीं रहेंगे।