पटना : राजेंद्र विश्वनाथ अर्लेकर ने समाज में राम तत्व की अवधारणा को समझने की बात कही। उन्होंने कहा कि हम सनातनी होने के साथ ही अध्यत्न भी हैं। युवाओं को राम तत्व समझने और राम के जीवन से प्रेरणा लेने की जरूरत है। महर्षि बाल्मीकि के मानस, आचार्य तुलसी दास और कबीर ने राम को अपने-अपने स्तर से समझ कर लोगो के सामने लाने का महत्वपूर्ण कार्य किया। आगे उन्होंने कहा आज भी आक्रांताओं द्वारा राम को मिटाने का प्रयास किया जा रहा है। आज बिहार में भी वाल्मीकि, तुलसी और कबीर के द्वारा राम पर लिखे रचनाओं और पंक्तियों को तोड़ मरोड़ कर राजनीति हो रही है। राम तत्व विषय को आगे ले जाने की जरूरत है।
दरअसल, पटना विश्वविद्यालय के सीनेट हॉल में स्नातकोत्तर संस्कृत विभाग, पटना विश्वविद्यालय, पटना एवम प्रज्ञा-प्रवाह (चिति) बिहार-प्रांत द्वारा आयोजित तीन दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सेमिनार का अयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में शामिल होने पहुंचे राज्यपाल विश्वनाथ अर्लेकर ने दीप प्रज्वलन कर कार्यक्रम का उद्घाटन किया। इस दौरान दो पुस्तकें शब्द दर्शन और भारत की दैवी संपदा का लोकार्पण भी किया गया।
प्रज्ञा-प्रवाह (चिति) बिहार-प्रांत के अध्यक्ष प्रो० लक्ष्मी नारायण सिंह ने सद्गुरु कबीर दास के योग्यदानों का जिक्र करते हुए कहा कि कबीर दास ने समाज के अंतिम पंक्ति में खड़े लोगों को संतान धर्म के साथ जोड़ने का महत्वपूर्ण योगदान दिया है। साथ ही आगे उन्होंने कहा कि महर्षि बाल्मीकि, आचार्य तुलसी दास ने समय समय पर लोगों को राम रस का सोमपान करवाया।
हरियाणा विश्व विद्यालय के कुलपति प्रो पंडित ने राम के बारे में कहा कि राम सम्पूर्ण जगत का आश्रय हैं। महर्षि बाल्मीकि जी ने लोगों को राजकुमार राम के बारे में बताया है। आगे उन्होंने कहा कि राम कोई राजकुमार नहीं बल्कि हमारी परंपरा है। स्वास्थ्य समाज और संस्कृति के बारे में सोचते हैं वो सारे गुण राम में था।
वहीं, कुलपति प्रो जयकांत शर्मा ने राम के बारे में कहा कि वेद के बाद किसी के चरित्र की बात की जाय तो वो राम का चरित्र है। बाल्मिकी ने राम जी बारे में कहा कि राम परमतत्व हैं। लोगों ने माना राम मानवता के मूल में हैं। राम के बिना राष्ट्र नहीं। आज राम को अकादमिक में शामिल करने की आवश्यकता है। युवा वर्ग को राम को समझना होगा तब ही हमारे राष्ट्र और समाज का विकास हो सकेगा।
इस कार्यक्रम में विश्व भर के विश्वविद्यालयों से कुलपति प्रोफेसर्स और रिसर्च स्कॉलर पहुंचे थे। वहीं, प्रज्ञा-प्रवाह (चिति) बिहार-प्रांत के उपाध्यक्ष और वरिष्ठ पत्रकार कृष्णकांत ओझा ने विधिवत तरीके से कार्यक्रम का संचालन किया। वहीं, प्रो० गुरुप्रकाश ने अंत में धन्यवाद ज्ञापन करते हुए कहा कि हमारे समाज में आज राम और राम के चरित्र की आवश्यकता है।