पटना, 17 दिसम्बर 2025। पटना संग्रहालय परिसर में बिहार की दुर्लभ और ऐतिहासिक कला शैली पटना कलम को समर्पित भव्य प्रदर्शनी की शुरुआत हुई। ‘बिहार संग्रहालय बिएनाले–2025’ के अंतर्गत “पटना कलम: एक विरासत” विषय पर आयोजित इस प्रदर्शनी का उद्घाटन संध्या 4 बजे कला, संस्कृति एवं पर्यटन विभाग के मंत्री अरुण शंकर प्रसाद ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया।
उद्घाटन समारोह को संबोधित करते हुए मंत्री अरुण शंकर प्रसाद ने कहा कि पटना सदियों से कला और संस्कृति का केंद्र रहा है। विभिन्न शासकों और साम्राज्यों की विरासत को इस शहर ने सहेज कर रखा है। पटना कलम की यह कला लुप्तप्राय हो चुकी थी, लेकिन माननीय मुख्यमंत्री के मार्गदर्शन और बिहार संग्रहालय के महानिदेशक अंजनी कुमार सिंह के प्रयासों से इसे पुनर्जीवित किया जा रहा है। उन्होंने बिहार संग्रहालय और पटना संग्रहालय की पूरी टीम की सराहना करते हुए कलाकारों के योगदान को भी स्मरण किया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे अंजनी कुमार सिंह, महानिदेशक, बिहार संग्रहालय ने कहा कि उन्होंने सात–आठ वर्ष पहले पटना कलम को पुनर्जीवित करने का संकल्प लिया था। पटना संग्रहालय में उपलब्ध पटना कलम चित्रों का संग्रह देखकर मैं अभिभूत हो गया। दुनिया की सबसे पुरानी पटना कलम पेंटिंग ब्रिटिश म्यूजियम में है। अंग्रेजी शासनकाल में कई चित्र विदेश ले जाए गए। इस प्रदर्शनी का उद्देश्य आम लोगों को पटना की इस खूबसूरत कला विरासत से परिचित कराना और उस पर गर्व करने का अवसर देना है। उन्होंने राज्य सरकार से पटना कलम को मिथिला पेंटिंग की तरह बढ़ावा देने की अपील की।
विशिष्ट अतिथि प्रणव कुमार, सचिव, कला एवं संस्कृति विभाग, बिहार सरकार ने कहा कि पटना कलम आधुनिक और समसामयिक कला का उत्कृष्ट उदाहरण है, जो समाज का सजीव चित्रण करती है। विभाग लोक कलाओं के संरक्षण और डिजिटल प्रदर्शन के लिए लगातार प्रयास कर रहा है। इस दिशा में गुरु–शिष्य योजना भी शुरू की गई है।
कला संरक्षक प्रदीप जैन ने कहा कि आजादी के बाद यह पटना कलम की पहली एक्सक्लूसिव प्रदर्शनी है, जो बिहार की कला को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाने में सहायक सिद्ध होगी। वहीं संजय कुमार लाल, कला संरक्षक ने बताया कि उनके संग्रह में पटना कलम की लगभग 400 पेंटिंग्स सुरक्षित हैं, जिनमें से 80 पेंटिंग्स इस प्रदर्शनी में प्रदर्शित की गई हैं।
कार्यक्रम की शुरुआत में अशोक कुमार सिन्हा, अपर निदेशक, बिहार संग्रहालय ने स्वागत भाषण देते हुए कहा कि पटना कलम की लोकप्रियता इतनी थी कि विदेशी कलाकार भी इसे सीखने भारत आते थे। समापन पर सुनील कुमार झा, अपर निदेशक, पटना संग्रहालय ने धन्यवाद ज्ञापन करते हुए बताया कि संग्रहालय में 150 से 200 और पेंटिंग्स भी सुरक्षित हैं, जिन्हें भविष्य में प्रदर्शित किया जाएगा। इस ऐतिहासिक प्रदर्शनी ने पटना कलम की समृद्ध विरासत को एक बार फिर जीवंत कर दिया है और कला प्रेमियों के लिए यह एक विशेष आकर्षण बन गई है।
प्रभात रंजन शाही की रिपोर्ट