पटना : वृक्षों को बचाने हेतु चिपको आंदोलन के 51 वें वर्षगांठ पर पर्यावरण भारती ने देव वृक्ष पीपल के 5 पौधे लगाए। पौधारोपण का नेतृत्व पटना महानगर पेड़ उपक्रम प्रमुख हिमालय ने किया। पर्यावरण भारती के संस्थापक, पर्यावरण संरक्षण गतिविध के प्रांत संयोजक एवं अखिल भारतीय पेड़ उपक्रम टोली सदस्य राम बिलास शाण्डिल्य ने कहा कि 26 मार्च 1974 को उत्तराखंड राज्य के चमोली जिला अन्तर्गत रैणी ग्राम निवासी गौरा देवी के नेतृत्व में 27 महिलायें अलकनंदा घाटी के जंगल पहुँच कर पेड़ों से लिपटकर काटने का विरोध किये। इसे ही उत्तराखंड के प्रख्यात पर्यावरणविद सुन्दर लाल बहुगुणा जी ने चिपको आंदोलन नाम दिये। यह अहिंसात्मक आंदोलन था। गौरा देवी ने पर्यावरण संरक्षण हेतु “महिला मंगल दल” की स्थापना किये। इसका उद्देश्य पर्यावरण के दुश्मन, लालची तथा दुष्ट लोगों से वृक्षों सुरक्षा करना। धीरे-धीरे आसपास के इलाकों में भी चिपको आंदोलन चलाया गया।
राजस्थान राज्य के जोधपुर के खेजड़ली गाँव की अमृता देवी के नेतृत्व में 12 सितंबर 1730 में वृक्षों की रक्षा हेतु अपनी 3 बेटियों-आसू, रत्नी, भागू सहित 363 विश्नोई समाज के लोगों ने प्राणों की आहुति दिये। इसे खेजड़ली नरसंहार के नाम से भी जाना जाता है। 1980 में झारखंड राज्य के अनुसूचित जन जाति लोगों ने जंगल बचाओ आंदोलन प्रारंभ किये। केरल के पलक्कड़ जिला में 1970 ई में पर्यावरणविद, वैज्ञानिकों तथा स्थानीय लोगों द्वारा साइलेंट वैली आंदोलन वृक्षों की रक्षा हेतु किया गया। 1983 में पांडुरंग हेगड़े के नेतृत्व में कर्णाटक राज्य के पश्चिम घाट के पेड़ों की सुरक्षा हेतु अप्पिको आंदोलन शुरू किया गया।
वृक्षों और जंगलों की रक्षा हेतु बिहार में भी चिपको आंदोलन शुरू करना होगा। पर्यावरण और पेड़ के दुश्मन से वृक्षों की रक्षा हेतु पेड़ से चिपक कर बचाना होगा। उन दुष्ट को बताना होगा- “पहले हमको काटो, तब पेड़ काटो”। ग्लोबल वार्मिंग से मानव जीवन सुरक्षा हेतु वृक्षों को लगाने के साथ साथ बचाना होगा। अतः चिपको आंदोलन अनुकरणीय कदम है। ऐसे सुअवसर पर देव वृक्ष पीपल का पौधारोपण महत्वपूर्ण कार्य है। पर्यावरण भारती के पौधारोपण कार्यक्रम में हिमालय, चन्द्रशेखर आजाद, दिनेश गुप्ता, निजीत कुमार, राम बिलास शाण्डिल्य, नीरज नयन, श्याम राय, विनय कुमार सिंह, राजीव कुमार सिंह (बलमा बिहारी), डॉक्टर सुनील कुमार, प्रोफेसर विनय बिहारी इत्यादि ने भाग लिए।