पटना: गणतंत्र की आदिभूमि बिहार के विधानसभा में संविधान की 75वीं वर्षगांठ पर एक ऐतिहासिक विमर्श का आयोजन होने जा रहा है। इस आयोजन में भारत के सभी प्रदेशों के विधानमंडलों के पीठासीन अधिकारी शामिल होंगे। यह सम्मेलन लोकसभा और बिहार विधानसभा के संयुक्त तत्वाधान में होगा। लोकसभा अध्यक्ष इस सम्मेलन के पदेन सभापति होंगे। राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश भी इस समारोह में उपस्थित रहेंगे। इस सम्मेलन में संवैधानिक मूल्यों को सशक्त बनाये रखने में संसद एवं राज्य विधान मंडलों का योगदान विषय पर चर्चा होगा।
बिहार विधानसभा द्वारा भारत के सभी विधानमंडलों के पीठासीन अधिकारियों का सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है। यह आयोजन 20 से 21 जनवरी 2025 तक चलेगा। इसमें सभी राज्यों के विधानसभा अध्यक्ष, उपाध्यक्ष; जहां विधान परिषद है, उन राज्यों के सभापति, उपसभापति, केन्द्रशासित प्रदेश के जिन्हें राज्य का दर्जा है वहां के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष इसमें शामिल होंगे। इसे संसदीय प्रणाली में ‘अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारियों का सम्मेलन’ कहा जाता है।
संविधान में संसद या राज्य विधान मंडल को अपने-अपने सदन के संचालन की प्रक्रिया बनाने का अधिकार प्राप्त है। इसके तहत सभी विधायी निकायों ने अपना-अपना कार्यसंचालन नियमावली बनाया है। मोटे तौर पर इनमें समानता है। परन्तु, संसद सहित कई राज्यों में कुछ प्रक्रिया एवं नियम अलग-अलग भी हैं। संसदीय प्रणाली में यह परम्परा रही है कि सभी निकाय एक दूसरे के सम्पर्क में रहें, एक दूसरे की प्रक्रियाओं का अध्ययन करें और एक दूसरे की प्रक्रियाओं को जो सहज रूप में स्वीकार्य हों, उसे अपनाएं।
इसी उद्देश्य को सामने रखकर यह सम्मेलन अखिल भारतीय स्तर पर प्रत्येक वर्ष किसी-न-किसी राज्य में होता रहा है। इस बार 43 वर्षों बाद यह मौका बिहार को मिला है। इसके पहले 1964 एवं 1982 में यह आयोजन बिहार हुआ था। इस प्रकार यह बिहार में तीसरा सम्मेलन होगा। 6 एवं 7 जनवरी, 1964 को पीठासीन अधिकारियों का पहला सम्मेलन जब बिहार विधान सभा में हुआ था, उस समय स्व० लक्ष्मी नारायण सुधांशु विधानसभा के अध्यक्ष थे। इस बार बिहार विधानसभा अध्यक्ष नंद किशोर यादव के संरक्षण व मार्गदर्शन में यह आयोजन हो रहा है।
पीठासीन अधिकारियों के इस सम्मेलन के आयोजन का इतिहास काफी पुराना है। पहली बार सन् 1921 को शिमला में यह आयोजित हुआ था। उस समय भारत के संसद को सेन्ट्रल लेजिस्लेटिव एसेम्बली कहा जाता था। अलग-अलग प्रांतों में भी विधायी निकाय थे। वर्षों तक यह सम्मेलन नियमित अन्तराल पर नहीं हुआ। इसलिए अभी जो यह पटना में होने वाला है उसकी संख्या 85वां इसके पहले 84वां सम्मेलन मुम्बई में हुआ था। इस सम्मेलन के दो सत्र होते हैं।
सम्मेलन के बारे में जानकारी देते हुए बिहार विधानसभा अध्यक्ष नंदकिशोर यादव ने कहा कि हमलोग संविधान की 75वीं वर्षगांठ मना रहे हैं। इसलिए विषय जो लोक सभा द्वारा निर्धारित किया गया है, वह है- ‘‘संविधान की 75वीं वर्षगांठ संवैधानिक मूल्यों को सशक्त बनाये रखने में संसद एवं राज्य विधान मंडलों का योगदान।’’ इस सम्मेलन में पूरे भारत से 54 पीठासीन अधिकारी भाग लेंगे उनमें 6 महिला हैं।