चिराग पासवान के चाचा और लोजपा को दोफाड़ करने वाले पशुपति पारस ने अपने सोशल मीडिया से ‘मोदी का परिवार’ हटा दिया है। इसके साथ ही यह माना जा रहा है कि उनकी एनडीए से भी छुट्टी हो गई है क्योंकि अब वहां उन्हें कोई पूछ भी नहीं रहा। एनडीए की बैठकों में न तो उन्हें बुलाया जा रहा और न उन्हें कोई भाव मिल रहा है। साफ है कि पारस और उनकी पार्टी रालोजपा का एनडीए से नाता लगभग टूट चुका है। उनका पार्टी दफ्तर पहले ही उनके भतीजे चिराग पासवान को दिया जा चुका है। शायद यही सब कारण है कि अब पशुपति पारस ने खुद भी आपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से पीएम मोदी के ध्येय वाक्य ‘मोदी का परिवार’ को भी अनफॉलो कर दिया है।
मालूम हो कि चिराग पासवान की पार्टी ने इस वर्ष के लोकसभा चुनाव में पांच सीटें जीता। इसी के बाद से पारस की स्थिति कमजोर होती चली गई। केंद्र और राज्य स्तर पर राजनीतिक समीकरण बदल गए। पटना में पारस पहले लोजपा के उस दफ्तर पर काबिज थे जो रामविलास पासवान के समय से पार्टी का कार्यालय था। पर अब नीतीश सरकार ने वह दफ्तर पारस से खाली करवाकर चिराग पासवान की लोजपा को दे दिया। यह पारस के लिए एक बड़ा झटका था। इसके बाद 2025 के आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर सीएम हाउस में हुई एनडीए नेताओं की बैठक में भी पारस को नहीं बुलाया गया।
अभी चार सीटों पर हुए उपचुनाव में एनडीए की सफलता के बाद जब एनडीए नेता नीतीश कुमार से मिलने गए, तब भी पारस की पार्टी नदारद रही। इन घटनाक्रमों से यही संकेत मिल रहा है कि अब पारस के एनडीए में दिन लद गए हैं। उनके भतीजे चिराग पासवान ने भी हाल में दिये अपने बयानों से भी साफ कर दिया कि एनडीए में सिर्फ और सिर्फ उनकी लोजपा का ही सिक्का है। पारस के करीबी सूत्रों ने भी यह बताया है कि पटना में पार्टी दफ्तर खाली कराए जाने के बाद से ही पशुपति पारस समझ गए हैं कि उनका अब एनडीए में कोई स्थान नहीं है। इससे साफ है कि अब पारस महागठबंधन का रुख कर सकते हैं।