बिहार चुनाव के नतीजों के बाद कांग्रेस पार्टी के अंदर विरोध तेज हो गया है। शुक्रवार को कांग्रेस नेताओं और कार्यकर्ताओं ने सदाकत आश्रम में बड़ा विरोध प्रदर्शन किया। उन्हें शांत कराने के लिए पूर्णिया के निर्दलीय सांसद और कांग्रेस नेता पप्पू यादव भी पहुंचे और जमीन पर लेट गए। बिहार विधानसभा चुनाव में महागठबंधन को मिली करारी हार के बाद कांग्रेस पार्टी के भीतर जमकर घमासान मचा हुआ है। कार्यकर्ताओं ने चुनाव के दौरान हुए टिकट वितरण पर सवाल खड़े करते हुए प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राजेश राम, बिहार प्रभारी अल्लावेरू के खिलाफ खुलेआम मोर्चा खोल दिया। शुक्रवार को पटना स्थित कांग्रेस मुख्यालय सदाकत आश्रम में कार्यकर्ताओं ने अनशन और हंगामा किया। प्रदर्शन कर रहे कार्यकर्ताओं को शांत कराने के लिए पूर्णिया के निर्दलीय सांसद पप्पू यादव भी पहुंचे। जहां उन्हें गुस्साए नेताओं का सामना करना पड़ा और देखते ही देखते हालात ऐसे बने कि पप्पू यादव खुद जमीन पर लेट गए।
आख़िर क्यों लेट गए पप्पू यादव?
जैसे ही पप्पू यादव गुस्साए कार्यकर्ताओं से बात करने सदाकत आश्रम पहुंचे, प्रदर्शनकारियों ने नारेबाजी तेज कर दी। कुछ देर तक बातचीत का प्रयास नाकाम रहने के बाद पप्पू यादव कार्यकर्ताओं के बीच जमीन पर लेट गए और कहा कि वो कार्यकर्ताओं से लड़ने नहीं, उनकी बात सुनने आए हैं। लेकिन यह कोशिश भी प्रदर्शनकारियों को शांत नहीं कर सकी। भीड़ लगातार टिकट चोर गद्दी छोड़ और कांग्रेस को बर्बाद करने वालों को बर्खास्त करो जैसे नारे लगाती रही। प्रदर्शनकारी कांग्रेसियों ने पप्पू यादव को भी नहीं छोड़ा और उनपर भी प्रदेश नेतृत्व की तरह चुनाव में टिकट बेचने का आरोप लगा दिया। इससे पहले आज सुबह बिहार महिला कांग्रेस अध्यक्ष ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया था। उन्होंने भी टिकट वितरण में पक्षपात का आरोप लगाया था।
आरोप लगाया कि टिकट बेचे गए
प्रदर्शनकारियों का गुस्सा साफ था। उनका कहना था कि कांग्रेस नेताओं ने चुनाव से ठीक पहले टिकट बेचे, जिसके कारण पार्टी को ऐतिहासिक हार का सामना करना पड़ा। प्रदर्शनकारियों ने कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष राजेश राम, कांग्रेस के बिहार प्रभारी कृष्णा अल्लावरु पर टिकट बिक्री में शामिल होने का आरोप लगाया। कार्यकर्ताओं ने मांग की कि दोनों नेताओं को तुरंत पद से हटाया जाए। कुछ कार्यकर्ताओं ने पप्पू यादव और दूसरे बड़े नेताओं को भी इस गलत टिकट वितरण के लिए जिम्मेदार ठहराया। बिहार विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की स्थिति बेहद खराब रही। 2020 में जहां पार्टी ने 19 सीटें जीती थीं, वहीं इस बार कांग्रेस सिर्फ 6 सीटों पर सिमट गई। रिजल्ट के बाद से ही पार्टी नेताओं, उम्मीदवारों और कार्यकर्ताओं में भारी नाराज़गी है। गठबंधन प्रबंधन से लेकर टिकट वितरण तक हर स्तर पर सवाल उठ रहे हैं।