बिहार में अगले महीने से शुरू होने वाले पैक्स चुनाव के लिए कल मंगलवार को दावा—आपत्तियों की समय सीमा समाप्त हो गई। अब 25 अक्टूबर को अंतिम मतदाता सूची जारी कर दी जाएगी। राज्य में पैक्स चुनाव 26 नवंबर से 3 दिसंबर तक पांच चरणों में आयोजित होंगे। बताया गया कि इस बार बिहार के कुल 6422 पैक्स में वोटिंग बैलेट पेपर से होगी। इस बार मतगणना को आसान बनाने के लिए हर पद के लिए अलग-अलग रंग के बैलेट पेपर का इस्तेमाल किया जाएगा।
अलग-अलग पदों के लिए अलग-अलग रंग के होंगे मतपत्र
मिली जानकारी के अनुसार पैक्स अध्यक्ष पद के लिए लाल, पिछड़ा वर्ग (एनेक्सर-2) से प्रबंध समिति सदस्य के लिए हरा, अति पिछड़ा वर्ग (एनेक्सर-1) से प्रबंध समिति सदस्य के लिए सफेद, अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति से प्रबंध समिति सदस्य के लिए आसमानी और सामान्य वर्ग से प्रबंध समिति सदस्य के लिए नारंगी रंग के मतपत्र का इस्तेमाल किया जाएगा।
10 में से 5 पद महिलाओं के, नाम के आगे मुहर अनिवार्य
बिहार में इसबार 6422 पैक्सों में चुनाव हो रहा है जो 26 नवंबर से 3 दिसंबर तक चलेगा। राज्य निर्वाचन प्राधिकार ने सभी निर्वाचन अधिकारियों को इस संबंध में निर्देश जारी कर दिए हैं। बताया गया कि सभी पैक्स में कुल 12 पदों के लिए चुनाव होने हैं जिसमें अध्यक्ष और सचिव पद अनारक्षित हैं। बाकी 10 पदों में से 5 पद महिलाओं के लिए आरक्षित हैं।
आरक्षित वर्गों के लिए निर्धारित रंगों वाले मतपत्रों पर एक महिला उम्मीदवार के नाम के सामने मुहर लगाना अनिवार्य होगा। उदाहरण के लिए हरे रंग के मतपत्र पर पिछड़ा वर्ग (एनेक्सर-2) से एक महिला उम्मीदवार और बाकी उम्मीदवारों में से किसी एक (पुरुष या महिला) के सामने मुहर लगानी होगी। इसी तरह सफेद और आसमानी रंग के मतपत्रों पर भी एक महिला उम्मीदवार के साथ-साथ किसी एक अन्य उम्मीदवार को वोट देना होगा।
पैक्स अध्यक्ष पद के लिए लाल रंग वाला बैलेट पेपर
सभी पैक्स में जिन 12 पदों के लिए चुनाव होने हैं उनमें अध्यक्ष और सचिव का पद अनारक्षित है। अध्यक्ष पद के लिए लाल रंग के मतपत्र पर अपनी पसंद के उम्मीदवार के नाम के सामने स्वास्तिक चिन्ह वाली मुहर लगानी होगी। इधर बिहार के विभिन्न पंचायतों में पैक्स चुनाव की सरगर्मियां भी शुरू हो गईं हैं। संभावित उम्मिदवार अभी से पंचायत के अलग—अलग गांवों में जनसंपर्क करने लगे हैं। गांवों के चौक—चौराहों पर ग्रामीण लोकल चुनाव की गपशप और जोड़तोड़ की चर्चा में मगन हैं। लेकिन पिछले पैक्स कार्यकाल के दौरान हुए कामों का हिसाब—किताब लगाने में ग्रामीण कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे।