बिहार के नए राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने आज राजभवन में आयोजित एक समारोह में अपने पद और गोपनीयता की शपथ ले ली। पटना उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश कृष्णन विनोद चंद्रन ने राजभवन में आयोजित शपथ ग्रहण समारोह में उनको शपथ दिलाई। शपथ लेने के साथ ही आरिफ मोहम्मद खान बिहार के 42वें राज्यपाल नियुक्त हो गए। इससे पहले वे केरल के राज्यपाल थे। हाल में बिहार के तत्कालीन राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ अर्लेकर को केरल का राज्यपाल बनाया गया और वहां से आरिफ मोहम्मद खान को बिहार बतौर गवर्नर भेजा गया।
HC के मुख्य न्यायाधीश ने दिलाई शपथ
राजभवन में आयोजित आज के शपथ ग्रहण समारोह में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव और दोनों उप मुख्यमंत्री समेत अन्य मंत्री भी इस शपथ कार्यक्रम में शामिल हुए। महामहिम आरिफ मोहम्मद खान द्वारा पद और गोपनीयता की शपथ लेने के साथ ही बिहार को 26 साल बाद कोई मुस्लिम राज्यपाल मिला। आरिफ मोहम्मद खान से पहले एआर किदवई 14 अगस्त 1993 से 26 अप्रैल 1998 तक बिहार के राज्यपाल रहे थे। चुनावी साल में आरिफ मोहम्मद के गवर्नर बनने के बाद चर्चा तेज हो गई है कि आरजेडी के एमवाई समीकरण में सेंधमारी के लिए केंद्र की बीजेपी सरकार ने राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर की जगह उनको राज्यपाल बनाकर यहां भेजा है।
कौन हैं नए महामहिम आरिफ मो. खान
बिहार के 42वें राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान इससे पहले केरल के राज्यपाल थे। जनता पार्टी, लोकदल, बहुजन समाज पार्टी, कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी में भी वह रह चुके हैं। नीतीश कुमार के साथ केंद्रीय कैबिनेट में मंत्री रहने वाले आरिफ मोहम्मद तब सुर्खियों में आए थे, जब उन्होंने शाहबानो कांड के प्रश्न पर कांग्रेस पार्टी को छोड़ दिया था। आरिफ मोहम्मद खान और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार दोनों ही करीब 35 वर्ष पहले केंद्र सरकार में एक साथ एक ही मंत्रिमंडल का हिस्सा रह चुके हैं। आरिफ मोहम्मद खान की सियासी यात्रा अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के छात्र संघ के अध्यक्ष बनने से हुई। 1977 में बुलंदशहर के सियाना विधानसभा सीट से पहली बार विधायक बने और यूपी सरकार में मंत्री बने। बाद में वे कांग्रेस पार्टी में शामिल हो गए और 1980 में कानपुर और 1984 में बहराइच से सांसद बने। 1986 में, उन्होंने मुस्लिम पर्सनल लॉ बिल के पारित होने पर मतभेदों के कारण भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस छोड़ दी।