नवादा : जिले में वर्षा पाते में लगातार हो रही कमी व भूगर्भीय जलस्तर में हो रही गिरावट का असर दिखने लगा है। तापमान का बढ़ना जारी है। भूमिगत जलस्तर नीचे जाने से जल के लिए हाहाकार मचना आरंभ हो गया है। जिले के नदी-नाला, तालाब, कुआं, डोभा, सहित अन्य जलस्रोतों का पानी कब का सूख चूका है। चापाकल और बोरिंग का जल स्तर काफी नीचे चला गया है। अच्छे जलस्रोत वाले स्थानों पर बचे पानी से लोग किसी प्रकार बुनियादी जरूरतों को पूरा कर रहे हैं।
जानकारी के अनुसार, पानी के लिए शहर से लेकर गांव स्तर तक हाहाकार मचा हुआ है। पेयजल विभाग के अलावा जिले के आला अधिकारी पानी की समस्या दूर करने का भरसक प्रयास कर रहे हैं। परंतु सफल नहीं हो पा रहे हैं। समस्या से छुटकारा पाने के लिए विभाग की ओर से कई वाटर टैंक व जलमीनार बनाए जाते रहे हैं, परंतु विभागीय लापरवाही व सही देखरेख के अभाव के कारण ऐसे टैंक सफल नहीं हो पाते हैं।
नल जल योजना हो रहा फेल
ग्रामीण क्षेत्र में पानी की समस्या से छुटकारा दिलाने के लिए नल जल योजना से सैकड़ो जलमिनार का निर्माण किया गया था, लेकिन जमीन के नीचे लेयर चले जाने के कारण मोटर काम करना बंद कर दिया है। जलस्तर 40 से 45 फुट तक नीचे गया है। नतीजा यह कि वर्तमान में ग्रामीण क्षेत्र के लोग पानी के लिए तरस रहे हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में लगाये गये कई जलमीनार, सोलर पेयजलापूर्ति सहित चापाकल खराब पड़े हैं। ग्रामीणों द्वारा इसकी मरम्मत के लिए कई बार आवेदन दिये जाते रहे हैं, परंतु स्थिति जस की तस बनी हुई है। अंत में थक हारकर ग्रामीण चंदा इकट्ठा कर इसकी मरम्मत कराकर पानी पीने योग्य बनाते हैं। दूसरी ओर सबमर्सिबल पर आश्रित रहने वाले किसान भी अपनी फसल को बचाने के लिए काफी प्रयास कर रहे हैं।
कहते हैं किसान
पपु यादव, रामानंद यादव, अर्जुन यादव, अखिलेश सिंह, श्रीकांत सिंह, अजय सिंह एवं कामता सिंह आदि का कहना है कि खेतों में, तरबूज, ककड़ी, खीरा मिर्च, कद्दू जैसी अन्य फसल लगायी गयी है। बोरिंग में पानी नहीं रहने के कारण फसल पटवन करने में काफी परेशानी हो रही है। खेतों में जेसीबी के माध्यम से 30 फिट गड्ढा खोदकर फसल को पानी दे रहे हैं। लेकिन भीषण गर्मी में गढ़ा भी सुख गया है। फसल बीमा कराने के बाद भी सरकार की ओर से कुछ लाभ नहीं मिलता है।
गर्मी और तेज धूप से लोगों का जीना मुहाल हो गया है। इस स्थिति में पेयजल संकट उत्पन्न होने से स्थिति और गंभीर हो गयी है। लोगों का कहना है की नल जल योजना के तहत पाइपलाइन तो बिछायी पर घरों तक पानी नहीं पहुंचता है। सीमा देवी, सुचित्रा देवी, रोमा देवी, मामोनी देवी, बॉबी देवी, गोपाल मांझी, भोला, मंजू व जानकी सहित अन्य ने कहा कि हम लोगों को पानी लाने के लिए एक से दो किलोमीटर जाना पड़ रहा। पानी देने वाला अधिकारी या कर्मचारी अगर मिल जाय तो उसको 20 झाड़ू से कम नहीं मारेंगे।
पानी के लिए घंटों इंतजार करना पड़ता है। कभी-कभी पानी के लिए महिलाओं को रात भर संघर्ष करना पड़ता है। पानी का व्यवस्था में करने में ही हमारा पूरा समय बर्बाद हो जाता है। अन्य कार्य के लिए समय ही नहीं मिलता, फिर भी प्रर्याप्त मात्रा में पानी का व्यवस्था नही हो पा रहा है। सर्वाधिक परेशानी पशुओं को हो रही है। पानी के लिए किसी सिंचाई वाले पंप पर बिजली आने का इंतजार पशुपालकों को करना पड़ रहा है। तेज पछुआ हवा के कारण बिजली आपूर्ति बाधित हो रही है।
नवादा से भईया जी की रिपोर्ट