-शेष छह प्रत्याशियों की जमानत जब्त
नवादा : बिहार की महत्वपूर्ण सीटों में से एक नवादा में भाजपा कैंडिडेट विवेक ठाकुर ने राजद के श्रवण कुशवाहा को धूल चटा दिया। शेष छह प्रत्याशी अपनी जमानत बचा पाने में असफल रहे। अंतिम 29 चक्र की मतगणना में विवेक ठाकुर को 408349, श्रवण कुशवाहा को 341609, बिनोद यादव क़ो 39311 व गुंजन कुमार को 29211वोट मिले । इस प्रकार ठाकुर को 66,731 मतों से विजयी घोषित किया गया।
19 अप्रैल को हुई थी वोटिंग
बता दें कि नवादा सीट पर पहले चरण में 19 अप्रैल को वोटिंग हुई थी। नवादा सीट पर 1984 तक कांग्रेस का दबदबा रहा है। हालांकि मंडल-कमंडल की राजनीति ने 1984 के बाद इस क्षेत्र में जातीय राजनीति हावी हो गई। बिहार का दक्षिणतम संसदीय क्षेत्र नवादा की सीमा झारखंड से लगती है। वर्ष 1952 के चुनाव में यह गया पूर्वी संसदीय क्षेत्र का हिस्सा था।
1957 में संसदीय क्षेत्र बना था नवादा
1957 में नवादा संसदीय क्षेत्र बना। पहले दो चुनावों में यह सीट दो सदस्यीय थी। 1962 में परिसीमन के बाद नवादा संसदीय क्षेत्र संख्या 42 (सुरक्षित) के रूप में अस्तित्व में आया। 2009 में यह संसदीय क्षेत्र संख्या-39 के तौर पर वर्तमान स्वरूप में सामने आया। इसमें नवादा जिले के रजौली, हिसुआ, नवादा, गोविन्दपुर व वारिसलीगंज तथा शेखपुरा जिले का बरबीघा विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं।
हावी रहा है जातीय समीकरण
नक्सलवाद प्रभावित इस क्षेत्र में विकास के मुद्दे से ज्यादा जातीय समीकरण हावी रहा है। वर्ष 1984 तक यहां कांग्रेस का प्रभुत्व रहा। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने यहां 1996 में पहली जीत दर्ज की। वर्ष 2009 से यह सीट भाजपा या उसके गठबंधन दल के पास है। 1980 व 1984 के चुनाव में कांग्रेस के कुंवर राम जीते। इसके बाद कांग्रेस की वापसी नहीं हो सकी है। 1996 में कामेश्वर पासवान की जीत के साथ भाजपा को पहली सफलता मिली। 2019 में लोक जनशक्ति पार्टी के चंदन कुमार सांसद बने।
भूमिहार बनाम यादव की रही है राजनीति
यहां चुनाव में विकास के मुद्दे उठते तो हैं, लेकिन जातीय समीकरण के आगे ज्यादा प्रभावी नहीं दिखा। भूमिहार और यादव बहुल इस क्षेत्र में राजनीति की धुरी इन्हीं दो जातियों की इर्द-गिर्द घूमती रही है। हालांकि, कुशवाहा और वैश्य समाज के अलावा मुस्लिम वोटर भी निर्णायक भूमिका निभाते हैं।
इस प्रकार भाजपा एक बार फिर सारे कयासों पर विराम लगाते हुए नवादा संसदीय क्षेत्र में अपना परचम लहराने में सफल रहा। वैसे जीत का श्रेय भाजपा के पूर्व विधायक अनिल सिंह को जाता है जिन्होंने अंत समय में ही सही लेकिन हिसुआ विधानसभा का बागडोर थाम विजय का माला पहना एक तीर से कई शिकार कर डाला।