नवादा : आरक्षी अधीक्षक को अपनी हर जिम्मेदारी को दूसरे को देकर अपने आपको निर्दोष साबित करने पर ऐसे तुले हैं मानो जिले में किसी प्रकार का पुलिसिया जुल्म की जिम्मेवारी उनके कंधे पर न हो। कुछ इसी प्रकार के नित्य नये मामले सामने आ रहे हैं। ताजा मामला मानवाधिकार व सूचना के अधिकार से जुड़ा है। जिले के वरीय पत्रकार के साथ किये गये पुलिसिया उत्पीड़न का मामला मानवाधिकार आयोग के समक्ष दायर किया गया है। उक्त मामले में मानवाधिकार द्वारा मांग गये जांच प्रतिवेदन के किसी प्रकार जबाब नहीं देने पर पुनः प्रतिवेदन की मांग की गयी है।
उक्त मामले को जिले के बहुचर्चित आरटीआई कार्यकर्ता प्रणव कुमार चर्चील ने संज्ञान लेते हुए मानवाधिकार से एसपी द्वारा भेजे गए प्रतिवेदन की मांग सूचना के अधिकार के तहत की गयी। मानवाधिकार ने इसके आलोक में पुनः जांच प्रतिवेदन प्रतिवेदन उपलब्ध कराने का आदेश एसपी को दिया तो उन्होंने पुनः उसे रजौली एसडीपीओ को उनके क्षेत्राधिकार की बात कहकर सूचना उपलब्ध कराने का निर्देश दे दिया मानों इसके लिये वे जिम्मेदार न हो?
बता दें इसके पूर्व सूचना के अधिकार के तहत मांगी गयी सूचना एक दूसरे पर फेंक कर मामले को टाला जाता रहा है। अब सबसे बड़ा सवाल यह कि आखिर जांच प्रतिवेदन देने से एसपी कतरा क्यों रहे हैं? जब जिले का पुलिस महकमा ही कानून का रक्षा करने में असमर्थ हो तो जिले में पुलिसकर्मियों का बेलगाम होना तय है।
भईया जी की रिपोर्ट