नवादा : सरकार शिक्षा विभाग को सुधारने लाख प्रयास कर लेकिन इसे सुधार पाना सरकार के बश से बाहर की बात है। सायकिल, पोशाक, मध्याह्न, छात्रवृत्ति आदि योजना के चलाने से विद्यालय में छात्र- छात्राओं की उपस्थिति में अपेक्षित सुधार हुआ लेकिन शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के बजाय दिनों दिन खराब होता जा रहा है।
जिले के पकरीबरांवा प्रखंड क्षेत्र के उकौड़ा मध्य विद्यालय की कहानी तो कुछ और बयां कर रही है। जी हां? मैं पकरीबरांवा प्रखंड क्षेत्र के एक ऐसे विद्यालय की बात कर रहा हूं जो अपने आप में अजूबा है। ऐसी भी बात नहीं कि विद्यालय खुलता नहीं या फिर शिक्षक आते नहीं। विद्यालय भी खुलता है शिक्षक भी आते हैं लेकिन यहां पढ़ाई के बजाय होता कुछ और है।
विद्यालय में 340 बच्चे नामांकित हैं। इनमें से वर्ग 08 में 59, सात में 66, छह में 67, 05 में 44, चार में 36, तीन में 38, दो में 17 व एक में 13 छात्र- छात्रा शामिल हैं।शिक्षकों की कुल संख्या 09 है। यहां दो अर्द्ध निर्मित कमरे में विद्यालय का संचालन किया जा रहा है। कुल 08 अर्द्ध निर्मित कमरे हैं जिसमें से दो जर्जर है। विद्यालय में न शौचालय है न ही बाउंड्री। विद्यालय कार्यालय तो मानो गोदाम बना हुआ है। विद्यालय के एक कमरे के अलावे बरामदे में वर्ग कक्ष का संचालन किया जा रहा है।
प्रधानाध्यापक शंकर प्रसाद कहते हैं
पिछले वर्ष 2017 से विद्यालय विकास के नाम एक रुपये का आवंटन विभाग से प्राप्त नहीं हो सका है। कारण दो- दो अवकाश प्राप्त प्रधानाध्यापकों द्वारा एक दूसरे को वित्तीय प्रभार नहीं सौंपा जाना है। इसके लिए उन्होंने विभाग को एक नहीं, दो बार पत्राचार किया लेकिन परिणाम वही ढाक के तीन पात। अब आते हैं मूल मुद्दे पर जिसे सुन आप भी अपनी हंसी को नहीं रोक पायेंगे।
विद्यालय खुलते ही बाउंड्री बाल नहीं रहने के कारण झुंड के झुंड बकरियां पहुंचनी शुरू हो जाती है। जाहिर है जब विद्यालय बकरियों का चारागाह बन जायेगा तब पढ़ाई होगा क्यख खाक? सो प्रधानाध्यापक दिन भर बकरियों क़ो चराने में लगे रहते हैं। ऐसे में कोई यह भी नहीं कह सकता कि विद्यालय खुलता ही नहीं तो पढ़ाई क्या होगा खाक? यह मैं नहीं खुद प्रधानाध्यापक शंकर प्रसाद कहते हैं। उनसे हुई बातचीत व विद्यालय में बकरियों की भरमार वीडियो में देख आप खुद कह उठेंगे, वाह! क्या विद्यालय की व्यवस्था है। ऐसे में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की पोल खुल रही है।
भईया जी की रिपोर्ट