नवादा : बिहार सरकार के तमाम प्रयासों के बावजूद राज्य के अनुमंडलीय अस्पतालों की स्वास्थ्य व्यवस्था में सुधार की उम्मीदें अभी तक पूरी नहीं हो सकी है। रजौली अनुमंडलीय अस्पताल की स्थिति भी इससे अलग नहीं है। अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही की वजह से मरीजों को इलाज के लिए मोबाइल की रोशनी का सहारा लेना पड़ रहा है। मामला शुक्रवार को तब सामने आया, जब सड़क दुर्घटना में घायल युवक को इलाज के लिए अस्पताल लाया गया। दुर्घटना में घायल युवक को प्राथमिक इलाज के लिए अस्पताल लाया गया, लेकिन अस्पताल में बिजली कटने के बाद जनरेटर की स्थिति खराब थी।
अस्पताल में मौजूद जनरेटर में तेल नहीं था, जिसके कारण उसे चालू नहीं किया जा सका। अस्पताल कर्मचारियों के अनुसार, जनरेटर कभी तेल की कमी तो कभी स्टाफ की अनुपस्थिति के कारण बंद रहता है।
चिकित्सकों ने मोबाइल की रोशनी में घायल युवक का इलाज किया और बाद में उसे बेहतर इलाज के लिए सदर अस्पताल रेफर कर दिया। अस्पताल में बिजली न होने की वजह से मरीजों के इलाज के लिए मोबाइल की रोशनी का इस्तेमाल किया गया, जो अस्पताल की व्यवस्था की खराब हालत को उजागर करता है।
यह कोई पहला मामला नहीं है, जब अस्पताल में मोबाइल की रोशनी से इलाज किया गया हो। इससे पहले भी कई बार मरीजों का इलाज मोबाइल की रोशनी से किया गया है, क्योंकि अस्पताल में बुनियादी सुविधाओं की कमी है। इस बावत सिविल सर्जन से बात की गई, तो उनका कहना था कि कुछ दिनों में व्यवस्था को सुधार लिया जाएगा। फिलहाल अस्पताल की कुव्यवस्था जस की तस बनी हुई है।
कुव्यवस्था पर सवाल
रजौली अनुमंडलीय अस्पताल में जनरेटर में तेल की कमी और कर्मचारियों की अनुपस्थिति जैसी समस्याएं स्वास्थ्य सेवाओं की गंभीर स्थिति को दर्शाती है। अब बड़ा सवाल यह है कि जब तक इस व्यवस्था को सुधारने के प्रयास नहीं किए जाएंगे, तब तक मरीजों को इस तरह की समस्याओं का सामना करते रहना होगा? यह घटना बताती है कि कैसे कुव्यवस्था और लापरवाही की वजह से मरीजों को गंभीर परिणाम भुगतना पड़ रहा है। अगर जल्द सुधार नहीं किया गया, तो अस्पताल की स्वास्थ्य व्यवस्था पर सवाल उठते रहेंगे।
भईया जी की रिपोर्ट