पटना : इंडियन नेशनल ट्रस्ट फॉर आर्ट एंड कल्चरल हेरिटेज (इंटैक) की स्थापना दिवस के अवसर पर विद्यापति भवन में मैथिली साहित्य संस्थान, इंटैक, पटना चैप्टर, योर हेरिटेज और ऑल माय क्राफ्ट के संयुक्त तत्वावधान में एक विद्वत गोष्ठी का आयोजन किया गया। विरासत संरक्षण एवं संवर्द्धन के क्षेत्र में कार्यरत योर हेरिटेज और ऑल माय क्राफ्ट संस्था की साझेदारी से निर्मित उत्पाद कैथी लिपि एवं प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय के विश्वप्रसिद्ध सील की प्रतिकृति पर आधारित डायरी, प्लानर, पासपोर्ट कवर तथा मनी वॉलेट का लोकार्पण किया गया।
कार्यक्रम के मुख्य वक्ता और प्रसिद्ध शिक्षाविद् प्रो. वसी अहमद ने पटना शहर की ऐतिहासिकता और इसकी गौरवशाली विरासत पर विस्तार से चर्चा किया। उन्होंने इस नगर की स्थापत्य की बारीकियों से रू ब रू कराते हुए मौर्यकाल, गुप्तकाल, मुगलकाल और ब्रिटिश काल के पटना शहर के इतिहास को अत्यंत रोचक ढंग से बताया। उन्होंने कहा कि जन से जुड़ी धरोहर को बचाकर रख लेना सरकार की ही जिम्मेवारी नहीं है।
संग्रहालय बिहार के पूर्व निदेशक डॉ. उमेश चंद्र द्विवेदी ने कहा कि हमें अपनी विरासत से जब तक गौरव नहीं मिलेगा, हम इसे बचाने का प्रयास नहीं कर सकते। चेतना समिति के सचिव उमेश मिश्रा ने कहा कि हमारी विरासत गांवों तक फैली है। आगत अतिथियों का स्वागत करते हुए इंटैक, पटना चैप्टर के संयोजक भैरव लाल दास ने कहा कि समय-समय पर ऐसे आयोजनों से हम अपनी विलुप्त होती विरासतों के प्रति लोगों को संवेदनशील बना सकते हैं।
उन्होंने कहा कि कैथी लिपि का प्रयोग मैथिली, भोजपुरी, मगही अर्थात् बिहार की सभी भाषाओं और बोलियों के लिए किया जाता था। यह हमारी साझी सांस्कृतिक विरासत है। दीपक बक्सी ने पटना शहर की वैश्विक महत्व से लोगों को अवगत कराया। योर हेरिटेज की निदेशक रचना प्रियदर्शिनी ने कहा कि हमारी लिपि, हमारी भाषा और हमारे प्रतीक चिन्ह भी हमारे विरासत के अहम हिस्से हैं। इनके जरिये हमें अपने इतिहास और अपने अस्तित्व से परिचित होने का मौका मिलता है। ऑलमायक्राफ्ट के प्रशांत प्रियदर्शी ने कहा कि लोगों को अपनी विरासत से जोड़ने का सबसे अच्छा तरीका है, उन्हें उससे संबंधित उत्पाद देना। हमारी कोशिश है कि ऐसे उत्पादों के जरिए हम लोगों को उनकी विरासत के संरक्षण के प्रति जागरूक करें।
धन्यवाद ज्ञापन करते हुए अदिति गुप्ता ने कहा कि विश्व के सबसे प्राचीन शहरों में एक पाटलिपुत्र भी था और हमारा यह सौभाग्य है कि इसकी निरंतरता आज भी मौजूद है। कार्यक्रम के संचालन एवं समन्वयन में सविता उपाध्याय एवं प्रेम शंकर ने सहयोगी भूमिका निभाई। इस अवसर पर प्रो. वीणा अमृत, बिपिन कुमार दत्ता, कादम्बनी सिन्हा, शिव कुमार मिश्रा एवं अन्य गणमान्य अतिथि मौजूद रहे।
प्रभात रंजन शाही की रिपोर्ट