नवादा : वट सावित्री अमावस्या व्रत पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ अमावस्या तिथि 5 जून 2024 को रात 07.54 पर शुरू होगी और अगले दिन 6 जून 2024 को शाम 06.07 पर समाप्त होगी। ऐसे में वट सावित्री अमावस्या व्रत 6 जून को किया जाएगा। इस दिन शनि जयंती भी होती है। वट सावित्री व्रत सौभाग्य प्राप्ति के लिए एक बड़ा व्रत माना जाता है।
पूजा समय – सुबह 05.24 – सुबह 10.38, पति को दीर्घायु देता है वट सावित्री व्रत हिन्दु पौराणिक कथाओं के अनुसार सावित्री ने मृत्यु के देवता भगवान यम को भ्रमित कर उन्हें अपने पति सत्यवान के प्राण को लौटाने पर विवश किया था, इसीलिये विवाहित स्त्रियां अपने पति की सकुशलता एवं दीर्घायु की कामना के लिए वट सावित्री व्रत का पालन करती हैं।
वट सावित्री व्रत पूजा विधि
वट सावित्री व्रत में बरगद के पेड़ की पूजा की परंपरा है। हिंदू धर्म शास्त्रों के अनुसार बरगद के पेड़ में सभी देवी-देवताओं का वास होता है। वट सावित्री व्रत में सुहागिन स्त्रियां बरगद के पेड़ की 7 बार परिक्रमा करती हैं और साथ ही कच्चा सूता लपेटती हैं। मान्यता है कि बरगद के पेड़ की आराधना करने से सौभाग्य की प्राप्ति होती है और महिलाओं को अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
क्यों होती है वट वृक्ष की पूजा?
वट वृक्ष लंबे समय तक अक्षय रहता है, इसलिए इसे ‘अक्षयवट’ भी कहते हैं। यही कारण है कि हिंदू धर्म में इस वृक्ष को पूजनीय माना जाता है। वट वृक्ष में ब्रह्मा, विष्णु, महेश त्रिदेवों का वास होता है। बरगद के तने में भगवान विष्णु का वास माना जाता है। जड़ में ब्रह्मदेव का वास माना जाता है। शाखाओं में भगवान शिव का वास होता है। वट की लटकती शाखाओं को सावित्री स्वरूप मानते हैं।
भइया जी की रिपोर्ट