नवादा : 21वीं सदी, आधुनिकता और विकास के दावों के बीच जिले के दर्जनों गांवों में बीते कई वर्षो से बिजली आपूर्ति बाधित है। हालात यह है कि दर्जनों गांव के लोग जंगली जीवन जीने को मजबूर हैं। 15 हज़ार लोग आधुनिकता के दौर में अंधेरे में जीवनयापन कर रहे हैं। मामला जिले के उग्रवाद प्रभावित रजौली प्रखंड के हरदिया पंचायत की फुलवरिया डैम के आसपास जमुनदाहा, नावाडीह, झराही, डेलवा, पिपरा, परनौतिया और चोराडीह समेत दर्जनों गांवों का है, जहां बीते कई वर्षो से बिजली आपूर्ति बाधित है, जिसके कारण लगभग हजारों घरों में 15000 लोग टेक्नोलॉजी के इस युग में भी अंधेरे में रहने को मजबूर हैं। भीषण गर्मी में इन गांवों के लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। बिजली के कारण बच्चों की पढ़ाई और मोबाइल चार्ज करने में काफी परेशानियां हो रही हैं।
रोजमर्रा की जिंदगी में परेशानी
हरदिया पंचायत की मुखिया पिंटू साव ने बताया कि डैम के उस पार के लगभग 10 गांव में विगत कई वर्षों से बिजली नहीं है, जिससे लोगों को रोजमर्रा की जिंदगी में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। अगर बिजली होती तो वहां के लोगों को भीषण गर्मी और अंधेरे से राहत तो मिलती ही, साथ ही पेयजल की समस्या का निवारण सुलभ तरीके से संभव हो पाता।
10 साल पहले गांव में लगा था सोलर प्लेट
नावाडीह गांव के सत्येन्द्र राम कहते हैं कि 10 साल पहले गांव में सोलर प्लेट लगाया गया था, जो मात्र एक वर्ष ही सही रूप से कार्य किया। उसके बाद सोलर लाइट खराब हुआ है, जो अब तक खराब पड़ा है। वहीं, गांव के लोग लाइटों के लिए छोटे-छोटे चाइना सोलर लैंप का उपयोग करते हैं, जो दो-तीन माह बाद खराब पड़ जाता है, जिसके कारण उन्हें पुनः नया चाइना लैंप खरीदना पड़ता है इसलिए लोग रात्रि का खाना दिन में ही बना लेते हैं ताकि चाइना लाइट का कम से कम उपयोग हो और चाइना लाइट ज्यादा दिन तक चले। ग्रामीणों को मोबाइल चार्ज करने के लिए बैटरी पर निर्भर रहना पड़ता है। उन्होंने स्थानीय पदाधिकारी समेत जिला पदाधिकारी से बिजली मुहैया कराने की गुहार लगाई है।
ग्रामीण कह रहे हैं कि फुलवरिया डैम के इस पार के लोगों के पास जीवन जीने के लिए किसी भी प्रकार की व्यवस्था नहीं है इसलिए अधिकांश लोग जंगली जीवन जीने को मजबूर हैं। इस बावत विद्युत कार्यपालक अभियंता आसिफ हयात ने कहा कि बिहार सरकार के निर्णयानुसार हरेक गांव एवं घरों का विद्युतीकृत करना है। हरदिया पंचायत के डैम पार के दर्जनों गांवों में बिजली बहाल करने के लिए बिजली के खंभों को गाड़ने एवं तारों का जाल बिछाने के लिए वन भूमि से होकर गुजरना पड़ेगा।
इसके लिए वर्ष 2022 के 25 अप्रैल को पत्रांक 345 के द्वारा डीएफओ को पत्राचार कर एनओसी की मांग की गई थी। बावजूद अबतक वन विभाग द्वारा एनओसी नहीं दी गया है, जिसके कारण उक्त सभी गांवों में बिजली आपूर्ति बाधित है। उन्होंने कहा कि जैसे ही वन विभाग द्वारा एनओसी मिलेगा वैसे ही सुदूरवर्ती गांवों में बिजली पहुंचाने का काम शुरू किया जाएगा। अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या यह वही बिहार है, जो विकास के नए-नए आयाम रोज हासिल कर रहा है?