नवादा : नगर में ऊंची-ऊंची बिल्डिंग बना दी गयी हैं, जहां न तो आग या किसी हादसे से बचाव का कोई साधन उपलब्ध है और न ही वहां तक दमकल या एंबुलेंस की गाड़ियों को पहुंचने के लिए कोई रास्ता ही है। ऐसे में अगर अगलगी की कोई घटना या कोई हादसा हुआ तो भारी जान-माल का नुकसान हो सकता है। सैकड़ों वर्ष पूर्व बसे नवादा शहर की कोई प्लानिंग नहीं की गयी थी।
इस कारण जहां, जिसे जैसे उचित लगा, लोगों ने मकान बना लिये। हालांकि पुराने-जमाने में ज्यादातर मकान कच्चे या- फिर खपड़ैल के होते थे। पक्के भवन गिने-चुने ही थे। वह भी पहले एक, दो या अधिकतम तीन तल्ला ही बनाया जाता था। अब उसकी जगह बड़ी-बड़ी बिल्डिंगो ने ले ली है, जहां कार तो दूर -रिक्शा और ऑटो भी नहीं जा सकते। पुराने बसे मुहल्लों की तो ऐसी स्थिति है ही, पिछले साढ़े तीन दशक से जो भी नये मुहल्ले शहर के आसपास में बसाये गये हैं उनकी भी कमोबेश वैसी ही हालत है।
शहर का नहीं हो कोई प्लानिंग
शहर में पिछले साढ़े तीन दशक से नये मुहल्ले बसाये जा रहे हैं। गांव से शहर में बसने की आपाधापी में तो लोग गांव छोड़कर शहर के आसपास की खेती वाली जमीन खरीद कर नये मकान बना रहे थे। इन नये मुहल्लों में सुरक्षा मापदंडों का कोई ख्याल नहीं रखा गया। शहर में नये-नये जमीन के ब्रोकर आ गये जिन्होंने जमीन की बिक्री तो की किंतु उनकी प्लानिंग सही तरीके से नहीं की।
इन ब्रोकरों ने अपनी ओर से बीच में रास्ता या तो छोड़ा ही नहीं या तीन या चार फुट का रास्ता दिखा कर खरीददारों के वसीयत में लिखवा दिया कि वे तीन-तीन फीट जमीन छोड़ेंगे। खरीददार कहीं पर तो जमीन छोड़े ही नहीं और कहीं छोड़े भी तो उसमें घर में प्रवेश करने के लिए प्लेटफॉर्म या पायदान बना लिया, जिसके बाद गली में आने-जाने के लिए कहीं तीन फुट तो कहीं चार-पांच फुट रास्ता ही बचा है।
नहीं बन रहा नक्शा
ज्यादातर नये मकान बगैर नक्शा के शहर में पिछले साढ़े तीन दशक से बनाये जा रहे नये मुहल्लों में भी ज्यादातर मकान बगैर नक्शा पास कराये ही बनाये गये हैं। पुराने मुहल्लों में बने मकान तो बगैर नक्शा के हैं ही, ऐसे में इन मुहल्लों के अंदर आने-जाने के लिये न तो पर्याप्त जगह है और न ही पानी के निकास के लिए नालियां। इस कारण नाले का गंदा पानी गलियों में ही जमा रहता है।
बरसात में ऐसे मुहल्लों की स्थिति नारकीय हो जाती है। ऐसे में इन मुहल्लों तक फायर ब्रिगेड की गाड़ियां पहुंचना बड़ा मुश्किल है। अग्निशामक विभाग के पास आग बुझाने के लिये वाहन उपलब्ध हैं। दो वाहन छोटी, जबकि दो बड़े वाहन है। इतना होने के बावजूद शहर के जिम्मेवार नगर पर्षद के पदाधिकारी हाथ पर हाथ रख कर बैठे हुए है।
कहते है पदाधिकारी
चुनाव हो जाने के बाद इस तरह के बने मकानों पर नोटिस भेज कर कार्यवाई की जायेगी। बिना नक्शा बनाये मकानों की जांच की जायेगी।