नवादा : भाई के लंबी उम्र की कामना को ले बहनों ने भैया दूज का पर्व धूमधाम से मनाया। जिले में दोपहर बाद मोहल्ले में एकत्र होकर विधि विधान के साथ पूजा अर्चना कर भाई के जीवन की मंगल कामना की। भाई दूज के पर्व का हिंदू धर्म में खास महत्व है। इसे भाई टीका,या भ्रातृ द्वितीया के नाम से भी जाना जाता है। हर साल यह त्योहार दिवाली के बाद आता है, जिसका इंतजार हर बहनों को पूरे साल होता है।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन बहनें अपने भाइयों की लंबी उम्र, खुशी और कल्याण के लिए भगवान से प्रार्थना करती हैं और उनका तिलक करती हैं। भाई दूज भी रक्षाबंधन के तर्ज पर मनाया जाता है दोनों पर्वों में ही भाई की लंबी उम्र की कामना भगवान से करती हैं। दोनों पर्व बहन और भाई के पवित्र रिश्ते का प्रतीक है। भाई दूज पर भाई की आरती उतारती हैं और रुई के बनाए गए माला को पहनती हैं। भाई दूज का पर्व दीपावली के दूसरे दिन मनाया जाता है। यह पर्व भाई-बहन के रिश्ते को मजबूत बनाने के लिए मनाया जाता है और इस दिन बहनें अपने भाइयों की लंबी आयु, सुख-समृद्धि और अच्छे स्वास्थ्य की कामना से पूजा करती हैं। भाई दूज को यम द्वितीया भी कहा जाता है।
जिले के विभिन्न प्रखंडों के गांव से लेकर शहर तक भैया दूज पर्व की धूम रही। इस दौरान बहनों ने अपने भाई की लंबी आयु के लिए व्रत रखकर पहले अपने जीभ में कांटा चुभाकर श्राप दिया, इसके बाद जीभ में कांटा चुभाकर उसकी लंबी आयु के लिए ईश्वर से प्रार्थना की।जगह-जगह बहनों ने गोबर की चौकोर आकृति के बीच में यम, यमुना, सांप, बिच्छू आदि की आकृतियां बनाई गईं। इसके बाद निर्जला व्रत रखकर बहनों ने पूजा अर्चना की और मूसल से गोधन कूटा।
दरअसल भाई बहन के प्रेम का प्रतीक भइया दूज का पर्व परंपरागत तरीके से मनाया गया। बहनों ने सुबह भाइयों को श्राप दिया। फिर गोवर्धन की पूजा की और जीभ में कांटे चुभाकर भाइयों के दीर्घायु की कामना की। तिथियों के हेरफेर की वजह से रविवार को गोधन पूजा मनाई जा रही है।
इसको लेकर जगह-जगह बहनों ने गोबर से गोधन बना निर्जला व्रत रखकर बहनों से पूजा अर्चना की और गोधन कूटा। पूजा अर्चना के बाद घर वापस पहुंच कर भाई को चना, मिठाई खिलाई और लंबी उम्र की कामना की। भाइयों ने भी बहनों को उपहार दिए। गोधन पूजा को लेकर बहनों में काफी उत्साह का महौल है। इस अनोखी पारंपरिक पूजा को सुहागिन महिलाएं और लड़कियां अपने भाई के सुरक्षा के लिए करती हैं।
पूजा कर रही महिलाओं ने बताया कि पूजा के लिए सबसे पहले सुबह उठकर सभी लड़कियां इकट्ठा होती हैं और उस स्थान (जहां पूजा होगी) की साफ सफाई कर गोबर से ही सांप, बिच्छू और गोधन बाबा की काल्पनिक प्रतिमा जमीन पर ही बनाई जाती है। पूरी विधि विधान के साथ पारंपरिक गीत गाकर गोधन भगवान की पूजा अर्चनाकर कर कुटाई की जाती है। महिलाओं ने बताया कि अपने भाई की लंबी आयु के लिए हम लोग पूजा अर्चना करते है। इसका मुख्य प्रसाद चना होता है। जिसे अपने भाइयों को खिलाते है।
भैया दूज का त्योहार भाई-बहन के पवित्र रिश्ते का प्रतीक है। इस दिन बहनें अपने भाइयों को तिलक लगाकर उनकी रक्षा का वचन देती हैं और भाई अपनी बहनों को उपहार देते हैं।भैया दूज की कथा बहुत ही प्रसिद्ध है। इस कथा के अनुसार, यमुना ने अपने भाई यमराज को अमृत का पान कराकर उनके जीवन को अमर बना दिया था। तभी से भैया दूज का त्योहार मनाया जाता है।
जिले के विभिन्न प्रखंडों के गांव से लेकर शहर तक भैया दूज पर्व की धूम रही। इस दौरान बहनों ने अपने भाई की लंबी आयु के लिए व्रत रखकर पहले अपने जीभ में कांटा चुभाकर श्राप दिया, इसके बाद जीभ में कांटा चुभाकर उसकी लंबी आयु के लिए ईश्वर से प्रार्थना की।जगह-जगह बहनों ने गोबर की चौकोर आकृति के बीच में यम, यमुना, सांप, बिच्छू आदि की आकृतियां बनाई गईं। इसके बाद निर्जला व्रत रखकर बहनों ने पूजा अर्चना की और मूसल से गोधन कूटा।
दरअसल भाई बहन के प्रेम का प्रतीक भइया दूज का पर्व परंपरागत तरीके से मनाया गया। बहनों ने सुबह भाइयों को श्राप दिया। फिर गोवर्धन की पूजा की और जीभ में कांटे चुभाकर भाइयों के दीर्घायु की कामना की। तिथियों के हेरफेर की वजह से रविवार को गोधन पूजा मनाई जा रही है।
इसको लेकर जगह-जगह बहनों ने गोबर से गोधन बना निर्जला व्रत रखकर बहनों से पूजा अर्चना की और गोधन कूटा। पूजा अर्चना के बाद घर वापस पहुंच कर भाई को चना, मिठाई खिलाई और लंबी उम्र की कामना की। भाइयों ने भी बहनों को उपहार दिए। गोधन पूजा को लेकर बहनों में काफी उत्साह का महौल है। इस अनोखी पारंपरिक पूजा को सुहागिन महिलाएं और लड़कियां अपने भाई के सुरक्षा के लिए करती हैं।
पूजा कर रही महिलाओं ने बताया कि पूजा के लिए सबसे पहले सुबह उठकर सभी लड़कियां इकट्ठा होती हैं और उस स्थान (जहां पूजा होगी) की साफ सफाई कर गोबर से ही सांप, बिच्छू और गोधन बाबा की काल्पनिक प्रतिमा जमीन पर ही बनाई जाती है। पूरी विधि विधान के साथ पारंपरिक गीत गाकर गोधन भगवान की पूजा अर्चनाकर कर कुटाई की जाती है। महिलाओं ने बताया कि अपने भाई की लंबी आयु के लिए हम लोग पूजा अर्चना करते है। इसका मुख्य प्रसाद चना होता है। जिसे अपने भाइयों को खिलाते है।
भैया दूज का त्योहार भाई-बहन के पवित्र रिश्ते का प्रतीक है। इस दिन बहनें अपने भाइयों को तिलक लगाकर उनकी रक्षा का वचन देती हैं और भाई अपनी बहनों को उपहार देते हैं। भैया दूज की कथा बहुत ही प्रसिद्ध है। इस कथा के अनुसार, यमुना ने अपने भाई यमराज को अमृत का पान कराकर उनके जीवन को अमर बना दिया था। तभी से भैया दूज का त्योहार मनाया जाता है।
भईया जी की रिपोर्ट