– सेविका- सहायिका प्रशिक्षण व मानदेय भुगतान में गोलमाल का मांगा था प्रतिवेदन
नवादा : कहते हैं दस्तावेज कभी मरता नहीं, बशर्ते आप सक्रिय हों। कुछ इसी प्रकार की स्थिति आइसीडीएस विभाग की है। राज्य सूचना आयोग का चला डंडा तो साढ़े तीन वर्षों बाद खुली विभाग की निंद। हांलांकि अब भी विभाग अपनी मनमानी कर रही है।
जिले के बहुचर्चित आरटीआई कार्यकर्ता प्रणव कुमार चर्चिल ने राज्य आइसीडीएस विभाग से सेविका-सहायिका प्रशिक्षण व मानदेय भुगतान की एकीकृत जानकारी सुचना के अधिकार के तहत मांगी थी। सूचना उपलब्ध नहीं कराने पर मामला राज्य सूचना आयोग तक पहुंचा। राज्य सूचना आयोग ने जब पूछा क्यों नहीं आप पर 25 हजार रुपए का जुर्माना लगाया जाय? सुनवाई के ठीक एक दिन पहले विभाग ने जिले के आइसीडीएस को पत्र जारी कर आनन- फानन में सूचना उपलब्ध कराने का आदेश निर्गत कर दिया।
हांलांकि विभाग यहां भी अपनी मनमानी कर रहा है। दस्तावेज एकत्रित कर राज्य आइसीडीएस विभाग को उपलब्ध कराना है लेकिन वह जिले को सूचना आरटीआई कार्यकर्ता को देने का आदेश निर्गत कर दिया। ऐसे में मामला पुनः राज्य सूचना आयोग पहुंच गया है। अब आयोग क्या निर्णय लेता है इसका इंतजार हर किसी को है।
भईया जी की रिपोर्ट