-कहीं अंदर तहखाने में कुछ और तो नहीं?
नवादा : तुलसीदास ने कहा था हसब, ठठाब फुलायब गालु? तीनों एक साथ नहीं चल सकता। पहले प्राथमिकी, फिर समझौता और फिर गलबहियां? है न अविश्वसनीय? जी हां! कुछ इसी प्रकार की कहानी जिले के पकरीबरांवा थानेदार की है। पहले खुद प्राथमिकी दर्ज की और अब न केवल अभियुक्त के साथ बैठकर वह भी थाने में हस हसकर बातें कर रहे हैं बल्कि आल एज वेल कि संदेश दे रहे हैं। इस प्रकार का फोटो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है।
क्या है मामला
बात लोकसभा चुनाव के प्रथम चरण यानी 19 अप्रैल की सुबह राजेबिगहा बूथ से जुड़ी है। चुनाव कराने गये पुलिस कर्मियों में से एक का लोडेड एसएलआर की अज्ञात ने चोरी कर ली। इसकी जानकारी खुद डीएम व एसपी ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर सार्वजनिक किया। जाहिर है प्राथमिकी होनी थी सो हुआ। कर्तव्य हीनता के आरोप में पुलिस जवान को निलंबित कर दिया गया। तब घटनास्थल पर बारात ठहरी थी।
अगले दिन ही हो गयी बरामद
अगले दिन यानी 20 अप्रैल की सुबह घटनास्थल से कुछ ही देर ताड़ के पेड़ के पास झाड़ी से लोडेड एसएलआर कौ रहस्यमय तरीके से बरामद कर लिया गया। जाहिर है ऐसा संभव कैसे हुआ होगा? ऐसा कर पुलिस कप्तान की नजरों में थानेदार महान हो गये। सारा मामला प्रायोजित था? ऐसा बुद्धिजीवियों का मानना है।
बनी सुर्खियां
एसएलआर चोरी से लेकर बरामदगी तक अखबारों से लेकर सोशलमीडिया की सुर्खियां बनी। जैसा होता आया है सो हुआ। लेकिन कशीश न्यूज़ के पत्रकार सन्नी भगत ने मामले में तीन गिरफ्तार की खबर चला दी। नियमत: अगर ऐसा नहीं था तब खंडन किया जाना चाहिए था। लेकिन ऐसा न तो एसपी ने किया न ही थानेदार ने सो थानेदार की किरकिरी होने लगी।
दर्ज करायी प्राथमिकी
थानेदार ने बगैर सोचे समझे पत्रकार सन्नी भगत पर ग्यारह धाराओं में प्राथमिकी दर्ज करा दी। आश्चर्य यह कि अज्ञानता के कारण अनुसंधान की जिम्मेदारी प्रशिक्षु अवर निरीक्षक को सौंप दी।
मीडिया जगत में कार्रवाई पर उठा सवाल
अपने कार्यकाल में थानेदार द्वारा अपने कुकृत्यों को छिपाने व कलम पर अंकुश लगाने के लिए पद व नियम कानून को ठेंगा दिखा पत्रकारों पर झूठे मुकदमें के लिये मशहूर थानेदार के विरुद्ध सवाल उठने लगे। यहां तक कि पूरे पुलिस महकमे से सवाल पूछे जाने लगे तब थानेदार ने एक सुनियोजित चाल चली।
आरोपी को बुलाया थाना
थानेदार ने आरोपी को थाने पर बुलाया, अगल बगल बैठकर हंस हंसकर न केवल बातें की बल्कि कुछ और,मानों वे कोई अभियुक्त न होकर थानेदार का रिश्तेदार हो। फोटो सोशलमीडिया पर जारी होते ही चर्चाओं का बाजार गर्म हो गया तो थानेदार की कर्तव्यनिष्ठा पर संदेह। अब सबसे बड़ा सवाल यह कि कौन किसकी प्रतिष्ठा का हनन किया? आखिर आल एज वेल कैसे? कहीं अंदर तहखाने में कुछ और तो नहीं? अगर ऐसा है तो थानेदार पर कार्रवाई क्यों नहीं?
नवादा से भईया जी की रिपोर्ट