नवादा : जिले में शिक्षा विभाग के इतिहास में एक अनोखी घटना घटित हुई। जिला स्थापना पदाधिकारी (डीपीओ) डॉ. तनवीर आलम ने रविवार के दिन, जो आमतौर पर छुट्टी का दिन होता है, शिक्षकों का वेतन जारी कर एक नया इतिहास रचा है। इस कदम ने शिक्षकों के साथ-साथ आम जनता के बीच सराहना प्राप्त की है। ऐसे में रविवार जैसे छुट्टी के दिन डीपीओ स्थापना द्वारा वेतन का भुगतान करना एक अद्वितीय और साहसिक कदम माना जा रहा है। इस विशेष प्रयास में, डीपीओ डॉ. तनवीर आलम ने सभी आवश्यक अधिकारियों और बैंक कर्मचारियों को जुटाया, जिससे शिक्षकों का वेतन समय पर उनके खातों में ट्रांसफर किया जा सका। उन्होंने यह सुनिश्चित किया कि शिक्षकों को और अधिक इंतजार न करना पड़े, और उनके अधिकार का सम्मान हो सके।
उर्दू शिक्षक संघ के ज़िला अध्यक्ष सह प्रधान शिक्षक उर्दू प्राथमिक विद्यालय वारिसलीगंज मो० जहांगीर आलम ने इस पहल का स्वागत किया है। उन्होंने कहा, “यह हमारे शिक्षकों के लिए राहत का बड़ा दिन है। कई शिक्षक दुर्गा पूजा जैसे महान पर्व एवं अपने परिवार की जरूरतों को पूरा करने के लिए बड़ी बेचैनी से इन्तज़ार कर रहे थे, इस भुगतान ने उनकी आर्थिक चिंताओं को दूर कर दिया है और की खुशियों में चार चांद लगा दिया। हम डीपीओ के इस प्रयास की सराहना करते हैं।”
शिक्षक मो० अख्तर हुसैन रोह, रंजीत कुमार डी डी ओ एवं अबु सईद शिक्षक ने कहा, “हम लोगों ने कभी नहीं सोचा था कि रविवार को भी वेतन मिलेगा। यह हमारे लिए बड़ी राहत है और इसका श्रेय डीपीओ स्थापना डाॅकटर तनवीर आलम को जाता है, जिन्होंने हमारी स्थिति को समझा और इतनी जल्दी कार्रवाई की।”डीपीओ डॉ. तनवीर आलम ने मीडिया से बातचीत के दौरान बताया, “शिक्षक हमारे समाज की रीढ़ होते हैं और उनका सम्मान होना चाहिए। हमने यह सुनिश्चित किया कि शिक्षकों को उनके हक का वेतन समय पर मिले, चाहे दिन कोई भी हो। यह हमारी प्राथमिकता थी और हमने इसे पूरा किया।”
इस कदम के बाद से जिले में अन्य सरकारी विभागों के अधिकारियों के बीच भी एक सकारात्मक संदेश गया है। यह दिखाता है कि जब इच्छाशक्ति हो, तो किसी भी समस्या का समाधान संभव है, चाहे वह सरकारी अवकाश का दिन ही क्यों न हो। डीपीओ स्थापना का यह कदम जिले में एक मिसाल बन गया है, और अन्य जिलों के अधिकारियों से भी उम्मीद की जा रही है कि वे इस तरह की त्वरित और सहानुभूतिपूर्ण कार्रवाई करेंगे।
भईया जी की रिपोर्ट