नवादा : कहते हैं दृढ़ इच्छाशक्ति शक्ति हो और समाज के लिए कुछ करने की चाहत हो तो कठिन से कठिन काम भी आसान हो जाता है। कुछ इसी प्रकार की कहानी जिले के बहुचर्चित आरटीआई कार्यकर्ता प्रणव कुमार चर्चील की है। यही कारण है कि आज बड़े से बड़े अधिकारी उनके नाम से खौफ खाते हैं।
उन्होंने सूचना के अधिकार के तहत जिले के उग्रवाद प्रभावित कौआकोल प्रखंड क्षेत्र के उत्क्रमित मध्य विद्यालय बाराइजवारा के नियोजित शिक्षक उज्जवल कुमार आजाद की नियुक्ति से संबंधित दस्तावेज की मांग की थी। उपलब्ध कराये गये दस्तावेज में प्रमाण पत्र फर्जी पाये जाने का मामला जिला शिक्षा पदाधिकारी के समक्ष उठाया। जांचोपरांत प्रमाण पत्र फर्जी पाये जाने पर डीईओ ने नियोजन इकाई को नियोजन रद्द कर अग्रेतर कार्रवाई का आदेश निर्गत किया। बीडीओ करते रहे टाल मटोल:- डीईओ के आदेश के बावजूद बीडीओ ने टाल मटोल की नीति अपनायी। चूंकि मंशा लाभ- शुभ का था
उठा मामला
ऐसे में जिले के वरीय पत्रकार भैया जी की लेखनी भी कहां चूकने वाली थी सो उन्होंने लिखा डीईओ के नियोजन रद्द करने के आदेश को ठेंगा दिखा रही नियोजन इकाई। बौखलाहट में डीईओ ने पुनः नियोजन इकाई को नियोजन रद्द कर सूचित करने का आदेश जारी किया। फिर हुई टाल मटोल की साजिश:- नियोजन कैसे बचाया जाय सो बीडीओ ने डीईओ की जांच को नकारते हुये बीईओ को जांच का आदेश जारी कर दिया। शायद उन्हें पता नहीं कि जो जांच बीईओ ने डीईओ को दिया उससे अलग प्रतिवेदन देकर बीईओ अपनी गर्दन कैसे फंसाता सो आनन फानन में उन्होंने प्रमाण पत्र फर्जी होने का प्रतिवेदन देकर अपनी छुट्टी पा ली।
फिर खबर रही सुर्खियों में
भला भैया जी भी अपनी उक्ति” छेड़ दिया तो छोड़ेंगे नहीं ” को चरितार्थ किया तथा खबर को धार दिया। अब क्या था बीडीओ मजबूर हुआ और आनन फानन में नियोजन रद्द करने का आदेश जारी कर दिया। सूचना संबंधित जिलाधिकारी समेत तमाम अधिकारियों को भेज गयी है। अब सबसे बड़ा सवाल यह कि जब प्रमाण पत्र फर्जी था तो फिर नियोजन के लिए जिम्मेदार कौन? फिर नियोजित के विरुद्ध प्राथमिकी क्यों नहीं? उस राशि की वसूली कौन करेगा जो अबतक भुगतान हुआ? सरकारी राशि का दुरूपयोग के लिए जिम्मेदार कौन? इसका जवाब समाहर्ता को मांगना चाहिए तथा संबंधित दोषी के विरुद्ध कार्रवाई करनी चाहिए।
भईया जी की रिपोर्ट