नवादा : जिले के नगर परिषद हिसुआ में बंदरों के आतंक निरंतर बढ़ने से लोग परेशान हैं। नगर परिषद और जिला प्रशासन से बार-बार लोग बंदरों से छुटकारा दिलाने की मांग करते रहे हैं, लेकिन समाधान नहीं हो पा रहा है। निरंतर कस्बे में बढ़ रही बंदरों की संख्या के कारण लोग घरों में कैद होने को मजबूर हो गए है।
बंदरों से बचने के लिए लोग हजारों रुपए खर्च करके लोहे के जाल लगवा रहे हैं। बंदर हर रोज वार्डों में बच्चों, बुजुर्गों, राहगीरों महिलाओं को काटने के लिए दौड़ रहे हैं। वार्डों के बताया कि नगर परिषद प्रशासन और वन पदाधिकारी को चाहिए कि वह बंदरों को पकड़वा कर इनके आतंक से छुटकारा दिलाए।
गलियों में निकलना हुआ मुश्किल
बंदरोंकी बढ़ रही संख्या के चलते गलियों में लोगों का निकला मुश्किल हो गया है। बंदरों की टोलियां घरों में घुस कर घर में रखा सामान उठा कर ले जाती हैं। बंदरों के डर से गलियों में, छतों पर बच्चे नहीं खेलते हैं। महिलाएं भी छतों पर कपड़े सुखाने के बाद उनकी रखवाली करती हैं। बंदर छतों पर सूखने वाले कपड़े ले जाते हैं। घरों के आगे बंदरों के आतंक से बचने के लिए जाल हजारों रुपए खर्च करके लोग लगवा रहे हैं।
दिलवाएंगे छुटकारा
इस बावत नगर परिषद कार्यपालक पदाधिकारी आतिश रंजन का कहना है कि कस्बे के लोगों को बंदरों के आतंक से जल्द से जल्द छुटकारा दिलाया जाएगा।
कहते हैं वनों के पदाधिकारी
बंदरों के आतंक की मुझे जानकारी मिली है, दो दिनों के भीतर गया से टीम बुलवाकर जाली के द्वारा बंदर को पकड़ा जाएगा और हिसुआ को बंदरों से राहत मिलेगी।
अकेले नहीं जा सकते, अंजली
बंदरोंका आतंक इतना है कि गली से राहगीर अकेले नहीं जा सकता है। गलियों की दीवार पर बंदर टोलियों के साथ बैठे रहते हैं। बंदर हर रोज किसी किसी मोहल्ले में बच्चों, राहगीरों, महिलाओं को काट रहे हैं। कई बार प्रशासन से बंदरों से छुटकारा दिलाने की मांग कर चुके हैं लेकिन समाधान नहीं हो रहा है। -अंजली कुमारी,प्रोफेसर काॅलोनी, हिसुआ ।
लोहे के जाल लगवाने पड़ेंगे
बंदरोंका इतना आतंक है कि घरों पर लोहे के जाल लगवाने पड़ रहे हैं। बच्चे छत्त, गली में अकेले खेल नहीं सकते हैं। अभिभावकों को डर रहता है कि बच्चों को बंदर काट लें। बंदरों की संख्या निरंतर बढ़ रही है।’
भईया जी की रिपोर्ट