नवादा : जिले के बिहार-झारखंड सीमा पर रजौली समेकित जांच केन्द्र पर प्रशासन की मिलीभगत से इंट्री माफिया का खेल जारी है। पर्दे के पीछे चल रहे इस खेल से सरकारी राजस्व की व्यापक पैमाने पर क्षति हो रही है। इसका ताजा जीता जागता उदाहरण खनन विभाग द्वारा छापामारी में जप्त पत्थर लदा वाहन व पांच इंट्री माफियाओं की गिरफ्तारी है।
बड़ी मछली अब भी बाहर
गिरफ्तार सभी पांचों आरोपी तो सिर्फ मोहरे हैं डान तो कोई और है। वैसे इन्हें निर्दोष भी नहीं कहा जा सकता। बावजूद बड़ी मछली अब भी गिरफ्त से बाहर है। ऐसी भी बात नहीं है कि खेल में सिर्फ स्थानीय लोग शामिल हैं। नवादा से लेकर बिहारशरीफ तक इनका जाल फैला है।
कितने की होती है वसूली
सूत्रों के अनुसार वाहन को पार कराने के एवज में प्रति वाहन 200 रुपये व फर्जी कागजात के एवज में प्रति वाहन 25 हजार रुपये की वसूली माफियाओं द्वारा की जाती। वाहनों में लोहा, कोयला से लेकर गिट्टी लदा ट्रक शामिल है। इनमें से स्थानीय प्रशासन की हिस्सेदारी मामूली यानी लगभग 50 हजार रुपये प्रतिमाह का भुगतान किया जाता है।
चंद रुपये की लालच में हो रही सरकारी राजस्व की करोड़ों की क्षति
सूत्रों के अनुसार चंद रुपये की लालच स्थानीय प्रशासन सरकारी राजस्व की करोड़ों की क्षति करवा रही है। दूसरी ओर माफियाओं की संपत्ति में दिन दूनी रात चौगुनी का इजाफा हो रहा है। ऐसी भी बात नहीं कि बड़ी मछली की जानकारी स्थानीय प्रशासन को नहीं है, है! लेकिन चंद रुपये की लालच में अपने कर्तव्य से विमुख हो रहे हैं।
कौन खेल रहा पर्दे के पीछे से खेल
सूत्रों के अनुसार रजौली चितरकोली के मुन्ना यादव जो खुद 14 हाइवा के साथ रजौली व गया में आलिशान भवनों के स्वामी हैं के साथ ही रजौली अमांवा के टुन्ना कुमार नवादा मोगलाखार के मो. गोल्डन व बिहारशरीफ के सुबोध उर्फ टाइगर का नाम शामिल है। वैसे मैं इसकी पुष्टि नहीं करता लेकिन रजौली के चौक चौराहों इन नामों की चर्चा आम है। अब सबसे बड़ा सवाल! ऐसे लोगों पर अंकुश लगाये तो कौन?
भईया जी की रिपोर्ट