नवादा : कौन कहता है आसमां में सुराख हो नहीं सकता। एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारो। जिले के बहुचर्चित आरटीआई कार्यकर्ता प्रणव कुमार चर्चिल इसे साकार करने में लगे हैं। उन्होंने एक ऐसे मामले का उद्भेदन आरटीआई के माध्यम से की है जिसकी कोई कल्पना नहीं कर सकता।
मामला जिला योजना निगरानी समिति से जुड़ा है। उन्होंने आरटीआई के माध्यम से जानना चाहा था कि जिले में योजना निगरानी समिति की गठित समिति की कितनी बैठकें हुई। बैठकें हुई तो किन किन योजनाओं में कितनी राशि व्यय की स्वीकृति की गयी? जाहिर है जिला प्रशासन इस प्रकार की मांगी गयी सूचना का जबाब क्यों देगा सो नहीं दिया।
मामला द्वितीय अपील के तहत राज्य पंचायत राज सचिव के पास पहुंचा। सचिव ने 10 नवम्बर को वीडियोग्राफी के लिए आमंत्रित किया। कांफ्रेंसिंग में सचिव ने स्वीकार किया कि गलतियां जिले से नहीं बल्कि राज्य स्तर से हुई है।
हालात हुआ
चले थे हरि भजन को, ओपन लगे कपास। यानी उन्होंने जिले की जानकारी चाही थी, मिल गयी पूरे राज्य की जानकारी। कहने का मतलब यह कि वित्तीय अनियमितता सिर्फ जिले नहीं सम्पूर्ण राज्य में हुई।
नियमत
बगैर योजना निगरानी समिति की स्वीकृति राशि निकासी नहीं करायी जा सकती। और हुआ क्या? पिछले कई वर्षों से राशि की निकासी धड़ल्ले से की जा रही है। बहरहाल मामला अब एक बार फिर भारत सरकार पंचायती राज मंत्रालय को पुख्ता प्रमाण के साथ भेजते हुए संबंधित अधिकारियों के विरुद्ध कार्रवाई के लिए प्रेषित किया गया है। ऐसे में आगे की कार्रवाई का इंतजार हर किसी को रहेगा।
भईया जी की रिपोर्ट