नवादा : जिले की बिहार-झारखंड सीमा पर 238-गोविंदपुर विधानसभा सीट एक बार फिर चुनावी हलचल के केंद्र में है। राजद के निवर्तमान विधायक मोहम्मद कामरान का टिकट कटने के बाद से लगातार चर्चा में रहे इस सीट पर चुनावी दंगल धीरे-धीरे रोचक होता जा रहा है। कुल 3,14,437 मतदाताओं वाला यह क्षेत्र इस बार कई सामाजिक और राजनीतिक समीकरणों का मिश्रण प्रस्तुत कर रहा है।
चुनावी मैदान में मुख्य मुकाबला पारम्परिक दलों के बीच होने की उम्मीद है, लेकिन पहली बार युवा मतदाताओं और महिलाओं की संख्या में आई वृद्धि इस समीकरण को नया मोड़ दे सकती है। मतदाता संरचना और सामाजिक रुझान इस बात की तरफ इशारा कर रहे हैं कि युवा मतदाता ही अंतत: यहां की जीत का गणित तय करेंगे। गोविंदपुर विधानसभा क्षेत्र में 1,65,027 पुरुष मतदाता और 1,49,383 महिला मतदाता हैं। तीसरे लिंग के 27 मतदाता भी अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे। महिलाओं का मत प्रतिशत लगातार बढ़ रहा है, जिसका सीधा असर चुनावी रणनीति पर पड़ता दिख रहा है।
महिला मतदाताओं का अनुपात 905 है, जो जेंडर रेशियो के रूप में क्षेत्र में सामाजिक संतुलन और सुधार की दिशा दिखाता है। राजनीतिक दृष्टि से यह सीट पिछड़े वर्गों और अतिपिछड़ों का गढ़ मानी जाती है। यादव, कोयरी, कुशवाहा, अगड़े, महादलित और मुस्लिम मतदाताओं की हिस्सेदारी इस क्षेत्र में निर्णायक भूमिका निभाती है। लगभग 30 प्रतिशत यादव और 15 प्रतिशत मुस्लिम मतदाता परंपरागत रूप से क्षेत्रीय दलों के वोट बैंक माने जाते रहे हैं। वहीं, सवर्ण और गैर-यादव पिछड़े मतदाता कई बार सत्ता के समीकरण पलट चुके हैं।
युवा मतदाता का प्रभाव देगा क्षेत्र के भविष्य को दिशा
सबसे बड़ी दिलचस्पी इस बार युवा मतदाताओं की भूमिका को लेकर है। 18-19 वर्ष आयु वर्ग में 5,252 नए मतदाता हैं, जबकि 20 से 29 वर्ष के बीच के मतदाताओं की संख्या 63,552 है। यानी करीब 68,000 युवा वोट इस बार निर्णायक साबित हो सकते हैं। युवा रोजगार, शिक्षा, विकास और स्थानीय उद्योगों में अवसरों की कमी जैसे मुद्दों पर अधिक सजग दिख रहे हैं। जो भी पार्टी उनके मुद्दों को मजबूती से उठाएगी, उसका झुकाव इसी वर्ग की ओर बढ़ सकता है। इनके अलावा, वरिष्ठ मतदाता और सर्विस वोटर्स की भूमिका भी दखल देगी।
85 वर्ष से अधिक उम्र के 2,099 मतदाता और साथ ही 466 सर्विस वोटर्स भी मतदान सूची में शामिल हैं। इस वर्ग का मतदान प्रतिशत भले ही कम हो, लेकिन यह प्रतीकात्मक रूप से पारम्परिक मतदाताओं की निष्ठा को दर्शाता है। दिव्यांग मतदाताओं की संख्या 3,544 है, जिनकी सुविधा के लिए प्रशासन ने मतदान केन्द्रों पर विशेष मतदाता सहायता की व्यवस्था कर रखा है।
राजनीतिक समीकरण बनाम प्रत्याशियों के दांव
गोविंदपुर में पिछले कुछ चुनावों में त्रिकोणीय मुकाबले की स्थिति रही है। एक ओर सत्ताधारी राष्ट्रीय दल एनडीएनीत लोजपा-आरवी की प्रत्याशी विनीता मेहता अपने सहयोगी गठबंधन की पकड़ ग्रामीण क्षेत्रों में मजबूती के साथ बनाने के साथ ही मोदी-नीतीश तथा रामविलास नाम के भरोसे चल रही हैं, वहीं महागठबंधनीत राजद प्रत्याशी पूर्णिमा यादव अपने सहयोगियों संग जातीय एकजुटता और अपने प्रभाव पर दांव लगा रही हैं। सत्ताधारी गठबंधन विकास, सड़कों और शिक्षा में सुधार को अपना प्रमुख मुद्दा बना रहा है।
उसका फोकस ग्रामीण बुनियादी ढांचे, बिजली और कल्याण योजनाओं पर है। विपक्ष बेरोजगारी, स्थानीय भ्रष्टाचार और किसानों की समस्याओं को उभारते हुए जनता के बीच पहुंच बना रहा है। निर्वतमान राजद विधायक मोहम्मद कामरान के बागी तेवर भी निर्दलीय रह कर भी रंग दिखाने को आतुर हैं, जबकि जनसुराज और अन्य क्षेत्रीय दलों के उम्मीदवार भी इस बार समीकरण को प्रभावित करने की तोड़-जोड़ में जुटे हैं। विशेषकर वे जो किसी विशिष्ट जातीय समुदाय से आते हैं।
भईया जी की रिपोर्ट