नवादा : बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के प्रचार-प्रसार ने जैसे-जैसे रफ्तार पकड़ी है, वैसे-वैसे वारिसलीगंज विधानसभा क्षेत्र में शिक्षकों की राजनीतिक सक्रियता चर्चा का विषय बन गई है। कहीं मंच साझा करने का मामला, तो कहीं माल्यार्पण और नारेबाजी का—शिक्षकों की भूमिका अब सवालों के घेरे में है। हाल ही में पकरीबरावां प्रखंड के पोकसी गांव में मध्य विद्यालय के प्रधानाध्यापक नागेन्द्र प्रसाद का एक वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हुआ था, जिसमें वे राजद के मंच से भाषण देते नजर आए थे। वीडियो वायरल होने के बाद विभाग ने तुरंत कार्रवाई करते हुए उन्हें निलंबित (सस्पेंड) कर दिया था। अब एक नया मामला सामने आया है, इस बार भाजपा प्रत्याशी अरुणा देवी के प्रचार के दौरान।
जानकारी के अनुसार, पकरीबरावां क्षेत्र के रोहूआ गांव में अरुणा देवी प्रचार के सिलसिले में पहुंचीं, जहाँ मध्य विद्यालय रोहूआ के शिक्षक कृष्णा पासवान के नेतृत्व में उनका भव्य स्वागत किया गया। वीडियो में स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है कि शिक्षक स्वयं मंच पर मौजूद हैं और भाजपा प्रत्याशी के समर्थन में जोरदार नारेबाजी कर रहे हैं। इतना ही नहीं, वे विपक्षी दलों पर भी ललकार भरे नारे लगाते नजर आते हैं। यह वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है और लोगों के बीच चर्चा का केंद्र बना हुआ है। वीडियो के सामने आने के बाद गांव के लोगों में नाराजगी देखी जा रही है। कई ग्रामीणों का कहना है कि शिक्षक का काम बच्चों को शिक्षा देना है, राजनीति करना नहीं।
ग्रामीणों ने सवाल उठाया —
“जब शिक्षक खुद राजनीतिक मंच पर उतर आएंगे, तो विद्यार्थियों पर क्या प्रभाव पड़ेगा?” वहीं, विपक्षी समर्थकों ने इस मामले में विभाग से कार्रवाई की मांग की है।
उन्होंने कहा —
“जब राजद समर्थक प्रधानाध्यापक नागेन्द्र प्रसाद को सस्पेंड किया जा सकता है, तो भाजपा समर्थक शिक्षक कृष्णा पासवान पर कार्रवाई क्यों नहीं?” शिक्षा विभाग के सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, वायरल वीडियो की प्राथमिक जांच रिपोर्ट स्थानीय स्तर पर जुटाई जा रही है। यदि वीडियो में पाए गए तथ्यों की पुष्टि होती है, तो विभाग जल्द ही शिक्षक कृष्णा पासवान के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई कर सकता है।
वहीं, चुनावी माहौल में यह पूरा मामला शिक्षकों की राजनीतिक निष्पक्षता पर बड़ा सवाल खड़ा कर रहा है। एक शिक्षा पदाधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया — “आचार संहिता के दौरान किसी भी सरकारी शिक्षक का राजनीतिक मंच पर भाग लेना या नारेबाजी करना आचार नियमों का उल्लंघन है। विभाग इस पर गंभीरता से नजर रखे हुए है।” फेसबुक, व्हाट्सएप और स्थानीय समाचार समूहों में यह वीडियो लगातार वायरल हो रहा है।
लोग अपने-अपने राजनीतिक दृष्टिकोण के हिसाब से टिप्पणी कर रहे हैं, लेकिन अधिकांश लोग मानते हैं कि “शिक्षा व्यवस्था को राजनीति से अलग रखना चाहिए।” वारिसलीगंज विधानसभा क्षेत्र में शिक्षकों की लगातार बढ़ती राजनीतिक सक्रियता न सिर्फ विभाग के लिए चुनौती बनती जा रही है, बल्कि यह चुनावी शुचिता पर भी सवाल खड़ा कर रही है। अब देखना यह होगा कि विभाग इस नए वायरल वीडियो पर क्या रुख अपनाता है—क्या कृष्णा पासवान पर भी नागेन्द्र प्रसाद की तरह कार्रवाई होगी, या फिर यह मामला केवल सोशल मीडिया की सुर्खियों तक ही सीमित रह जाएगा?
भईया जी की रिपोर्ट