नवादा : जिले में मनरेगा के लिए एक कहानी मशहूर है। मनरेगा में लूट है, लूट सके सो लूट, अंतकाल पछतायेगा जब नौकरी जायेगी छूट” यह कहानी सिर्फ कहानी नहीं, बल्कि पूर्णतः सत्य है। यही कारण है कि सोशलमीडिया व अखबारों में प्रमाण के साथ कितनी ही खबरें छप जाये, किसी अधिकारी पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता। मनरेगा में लूट का एक नया मामला जिले के उग्रवाद प्रभावित रजौली प्रखंड क्षेत्र के अमांवा पूर्वी पंचायत का सामने आया है। पंचायत की आबादी से अधिक लोगों के नाम मनरेगा जावकार्ड कार्यरत है। ऐसा हम नहीं खुद मनरेगा का बेवसाइट कह रहा है जिसे झूठला पाना किसी के लिए संभव नहीं है।
बेवसाइट के अनुसार पंचायत के अमांवा में 1974, बेलाडीह में 221, मलियातरी में 833, होरला में 760, बंधन छपरा में 1094, गंगाबिगहा में 270, बड़सर में 0425 व लक्ष्मिबिगहा में 1095 कुल 6672 लोगों के नाम जावकार्ड कार्यरत है। जबकि पंचायत की कुल मतदाताओं की संख्या 09 हजार के आसपास है।
जाहिर है ऐसे लोगों के नाम जॉब कार्ड निर्गत किया गया है जो सरकारी यानी बिहार पुलिस, आंगनबाड़ी सेविका- सहायिका, आशा, आदि सेवाओं में कार्यरत हैं जिन्हें यह भी पता नहीं कि उनके नाम जावकार्ड कार्यरत है।
असली को काम नहीं, नकली को भुगतान
इनमें से बहुत सारे ऐसे जावकार्डधारी हैं जो बास्तबिक में मजदूर हैं और उन्हें काम की सख्त आवश्यकता है लेकिन उन्हें काम नहीं मिल रहा लेकिन फर्जी मजदूरों के नाम काम दिखाकर राशि का भुगतान किया जा रहा है। ऐसे लोगों में सैकड़ों बाल मजदूर शामिल हैं जो काम के बजाय पढ़ाई कर रहे हैं। बहरहाल मामले की अगर सूक्ष्म जांच हुई तो अधिकारियों से लेकर पीओ का फंसना तय माना जा रहा है। लेकिन सबसे बड़ा सवाल जांच करेगा कौन?
भईया जी की रिपोर्ट