नवादा : जिले में पीडीएस विक्रेताओं पर शासन प्रशासन कितना मेहरबान है इसका जीता जागता उदाहरण योगेन्द्र पासवान है। आश्चर्य तो यह कि लोक शिकायत निवारण के आदेश तक की धज्जियां जिला आपूर्ति पदाधिकारी ने उड़ाते हुए बचाने का काम किया। यही कारण है कि आजतक फर्जी अनुज्ञप्ति पर खाद्यान्न का उठाव कर कालाबाजारी की जा रही है। तभी तो पासवान कहता फिरता है। जी हां! पैसा बोलता है। यहां हम बात कर कर रहे हैं जिले के रजौली प्रखंड क्षेत्र के अमांवा पीडीएस विक्रेता योगेन्द्र पासवान का।
पासवान को बचाने के चक्कर में रजौली के तत्कालीन एसडीएम आदित्य कुमार पियूष ने जुर्माना देना कबूल किया लेकिन बचाने में सफल रहे। अब सबसे बड़ा सवाल ऐसा क्यों? फिर नियम कानून की आवश्यकता ही क्या? चलिए अब आते हैं मूल बात पर। अनुमंडल से लेकर आयुक्त कार्यालय तक बगैर मूल संचिका की जांच के ही पासवान के पैसे के बल पर क्लीनचिट देता रहा। लेकिन कहा जाता है कानून मरता नहीं। सो जिले के बहुचर्चित आरटीआई कार्यकर्ता प्रणव कुमार चर्चिल ने सभी आदेशों की पोल खोल दी।
एकबार पुनः वाद दायर कर शासन प्रशासन से गंभीर सवाल पूछा है। वे जानना चाहते हैं क्या आदेश के आलोक में मूल संचिका की जांच हुई? अगर नहीं तो क्यों? क्या कोई तेरह वर्ष की उम्र में अनुज्ञप्ति पाने का हकदार है? अगर नहीं तो फिर अनुज्ञप्ति निर्गत हुई कैसे? बहरहाल वाद स्वीकृत कर ली गयी है तथा मामले की सुनवाई के साथ निर्णय का इंतजार हर किसी को रहेगा।
भईया जी की रिपोर्ट