नवादा : वर्षाभाव के कारण जिले में अब तक मात्र सात से आठ प्रतिशत ही धान की रोपनी हुई है। बारिश की कमी से किसानों को रोपनी में कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। गांव के अधिकतर खेत धान की रोपनी के कारण परती है। किसानों का कहना है कि पहले जून, जुलाई से ही धान की रोपनी का काम शुरू हो जाता था, लेकिन वर्षाभाव के कारण रोपनी नहीं हो पा रही है।
कहते हैं मौसम वैज्ञानिक
मौसम वैज्ञानिक रोशन कुमार का कहना है कि धान की खेती के लिए 1000 मिलीलीटर बारिश की आवश्यकता होती है, लेकिन अभी तक मात्र 20% ही बारिश हो पायी है, जिस कारण धान की रोपनी में किसानों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। धान की खेती के लिए जून महीने में 75% बारिश कम हुई जबकि जुलाई महीने में नहीं के बराबर बारिश हुई है। इस कारण जिले में अब तक सात से 8% तक ही रोपनी हो पायी है। अगले दो से चार दिनों में अच्छी बारिश होने की संभावना है।
कहते हैं किसान
अकबरपुर प्रखंड फतेहपुर पंचायत डीही के प्रगतिशील किसान ललन सिंह स मुलाकात उनके खेत पर अपने मजदूरों से धान की रोपनी कराते वक्त हुई। उन्होंने कहा कि बारिश नहीं होने के कारण धन की रोपनी काफी देर से शुरू हुई है। खुद मोटर पंप से पटवन कर रोपनी करवा रहा हूं। खेत के बगल में खुरी नदी होने के बाद भी हमारे खेतों में नदी का पानी नहीं आता है। इसका मुख्य कारण यह है कि नदी में बालू की कटाई ज्यादा हो गयी है और हमारे खेतों तक आने वाला पैन आहर ऊंचा हो जाने के कारण हमारे खेतों में पानी नहीं आ रहा है। पहले जब हम लोग खेती करते थे तो शत प्रतिशत नदी के पानी पर निर्भर होते थे और अच्छी पैदावार होती थी, लेकिन बारिश नहीं होने के कारण न तो नदी में पानी है और ना ही हम हम लोगों के खेतों में। हम लोग तो ऊपर वाले की मार के साथ-साथ नीचे वालों की मार झेल रहे हैं। पेट की आग बुझाने के लिए रोपनी करवा रहा हूं। अब भगवान ही जाने बारिश होगी या मोटर पंप पर ही खेतों को आश्रित रखना होगा।
धान की रोपनी में अधिक खर्च होने से किसानों की बढ़ी चिंता
क्षेत्र में इस वर्ष आद्रा के अंत में व पुनर्वसु नक्षत्र के प्रारंभ में हुई वर्षा के बाद कुछ किसानों ने धान की रोपनी तो कर ली, परंतु उसके बाद से बारिश नहीं होने से किसान परेशान हैं। प्रखंड के लिए धान आच्छादन के निर्धारित लक्ष्य का मात्र 7.31 प्रतिशत धान की रोपनी पूरी की है। मौसम की दगाबाजी के कारण धान के पौधे सूख रहे हैं। खेत में नमी के अभाव व तपती धूप के कारण दरारें पड़ गयी हैं। धान के झुलसे पौधों को देख किसानों को चिंता सता रही है। उन्हें इस बात का मलाल है कि कुछ दिनों बाद वर्षा होने पर फिर से रोपनी के लिए बिचड़ा भी उपलब्ध नहीं हो सकता।परिणामस्वरूप धान की फसल लगाने में लागत लग जाने के बाद भी उत्पादन से वंचित रह जाना पड़ेगा। जिन किसानों के पास सिंचाई का अपना साधन उपलब्ध है, उन्हें उत्पादन में थोड़ी कम परेशानी है, परंतु जिन्हें अपना साधन नहीं है, फसल उत्पादन करना उनके बस से बाहर की बात होती जा रही है।
निजी नलकूप वाले लेते हैं 150 रुपये प्रति घंटा
एक घंटा में मुश्किल से एक से डेढ़ कट्ठा जमीन की पटवन हो पाती है। इसे लेकर किसानों ने लघु जल संसाधन विभाग के मंत्री, जिलाधिकारी व लघु जल संसाधन विभाग के कार्यपालक अभियंता से प्रखंड के बंद पड़े सभी राजकीय नलकूपों व उद्धवह सिंचाई योजनाओं को चालू कराने की दिशा में आवश्यक कार्रवाई किये जाने की मांग की है।
जिला में लक्ष्य से काफी पीछे लगातार हो रही कम बारिश के कारण धान की रोपनी में प्रतिदिन कमी देखी जा रही है। कृषि पदाधिकारी का कहना है कि आने वाले समय में धान की रोपनी का लक्ष्य जिले के सभी प्रखंडों में शत प्रतिशत पूरा कर लिया जायेगा। दिए गए विभागीय आंकड़ों के अनुसार जिले मे कुल 83 हजार 7 सौ 73.47 हेक्टेयर में धान की रोपनी होने का लक्ष्य रखा गया है. परंतु 25 जुलाई तक 6 हजार एक सौ 24.73 हेक्टेयर में ही धान की रोपनी हुई है. देखा जाए तो जिले में मात्र अब तक लक्ष्य का 7.31% तक ही धान की रोपनी हुई है।
वर्ष 2024- 25 में जिले के सभी प्रखंडों का लक्ष्य –
धान रोपनी प्रतिशत नवादा 8262.00 439.30 5.32
वारिसलीगंज 7951.00 1061.75 13.35
काशीचक 3025.00 462.50 15.29
कौआकोल 7620.00 583.00 7.65
पकरीबरावा 6920.00 746.20 10.78
रोह 6431.03 478.75 7.44
अकबरपुर 427.88 427.88 4.85
गोविन्दपुर 3618.19 347.00 9.59
रजौली 6599.97 229.70 3.48
सिरदला 7291.00 305.85 4.19
मेसकौर 4340.00 161.00 3.71
नरहट 4494.00 529.50 11.78
हिसुआ 4914.00 216.50 4.41
नारदीगंज 3494.00 135.80 3.89
कुल योग 83773.47 6124.73 7.31 धान की रोपनी का लक्ष्य सबसे ज्यादा काशीचक प्रखंड में 15.29% जबकि सबसे कम मेसकौर प्रखंड में 3.7 1% का लक्ष्य पूरा हुआ है।
भइया जी की रिपोर्ट