नवादा : एसपी साहेब अब भी तो अपनी आंखें खोलिए। आखिर कब तक महादलितों पर होता रहेगा अत्याचार? थानाध्यक्ष प्राथमिकी दर्ज करने से क्यों करता है इंकार? इसके पूर्व ऐसा तो नहीं होता था। मांझी समाज की एक महिला महीनेभर से अपने पति की निर्मम हत्या की रिपोर्ट दर्ज कराने के लिए पुलिस थाने से लेकर बड़े अफसरों के दफ्तरों तक भटकती रही, अब जाकर पुलिस ने रिपोर्ट दर्ज की है। समाज के सबसे निचले तबके वाले मांझी समाज की इस महिला की गुहार इसलिए नहीं सुनी गई क्योंकि आरोपी एक निजी नर्सिंग होम का संचालक था। महिला का आरोप है कि दो अगस्त को उसके पति की मौत दोनों आंखें फोड़कर और जहरीला इंजेक्शन लगाकर कर दी गई जो उसी अस्पताल में कंपाउंडर था। इतना ही नहीं, परिवार पर दवाब बनाकर संचालक ने उसके पति के शव का पोस्टमार्टम नहीं कराने दिया और जबरन लाश जला दिया।
मामला जिले के हिसुआ प्रखंड का है। सीतामढ़ी थाना क्षेत्र के जमुई गांव में संतोष माझी (28) और पत्नी प्रतिमा देवी हंसी-खुशी रह रही थी। पति संतोष हिसुआ के तिलैया स्टेशन के पास बने ‘आस्था नर्सिंग होम’ में बतौर कंपाउंडर काम करता था और उसकी पगार मात्र दस हजार रुपये थी। प्रतिमा देवी का कहना है कि नर्सिंग होम का संचालक निर्भय कुमार पाण्डेय काफी समय से उसके पति के डेढ़ लाख रुपये नहीं लौटा रहा था, इसके चलते पति ने अस्पताल जाना बंद कर दिया था। बकाया रूपये मांगने के लिए 30 जुलाई को पति संतोष ने संचालक निर्भय को फोन किया। बाद में प्रतिमा के पास फोन आया कि पति संतोष का एक्सीडेंट हो गया है।
पति को खून की उल्टी हुईं, जहरीला इंजेक्शन लगाया
प्रतिमा देवी का कहना है कि 30 जुलाई को निर्भय ने मेरे पति को बुलाया और उन्हें बस्ती बिगहा इलाके में बने अपने नए नर्सिंग होम में रहकर काम करने को बोला। पत्नी का कहना है कि जब वह गए तो मुझे फोन आया कि संतोष मांझी का राजगीर-हिसुआ पथ के दयाली बिगहा मोड पर सड़क दुर्घटना हो गई है और वह जख्मी है। फोन पर निर्भय ने उसे अकेले आने की बात कहकर फोन काट दिया। जब वह अस्पताल पहुंची तो पति की हालत काफी खराब थी, उनकी दोनों आंखें फूटी हुई थीं और सीने में मारपीट के निशान थे। वे खून के उल्टी कर रहे थे। उनके शरीर पर एक्सीडेंट जैसी कोई रगड़ या जख्म नहीं था पर सीने पर मारपीट के निशान थे। ‘जब मेरे पति इशारे कर रहे थे तो निर्भय कुमार द्वारा जहरीले इंजेक्शन लगा दिया, जिससे वे बेहोश हो गए।’शव का पोस्टमार्टम नहीं कराने दिया।
जब पति बेहोश हो गए तो हमें बिना जानकारी दिए उन्हें निर्भय ने नवादा के बुधौल के निजी क्लीनिक ‘मेडिकेयर हॉस्पिटल’ में भर्ती करवा दिया। जहां बस दिखावे का इलाज चला और आखिरकार पति की मौत हो गई। अस्पताल संचालक और उसके कुछ आदमियों ने जबरदस्ती एंबुलेंस से शव को गांव में लाकर बिना पोस्टमार्टम कराए जला दिया। इसके बाद मुझे और मेरे परिवार को काफी डराया गया कि पति की तरह ही तुम्हारी भी हत्या कर देंगे। निर्भय कुमार ने मेरे पति की मोटरसाइकिल और मोबाइल भी गायब कर दिया ताकि हत्या का साक्ष्य न मिले।
पति की आंखें फोड़ने व जहरीला इंजेक्शन देने का आरोप
पति की आंखें फोड़ने व जहरीला इंजेक्शन देने का आरोप से संबंधित आवेदन लेकर महीने भर से अधिक पुलिस थाने का चक्कर लगाती रही। पति के हत्यारोपियों के खिलाफ केस दर्ज करवाने के लिए कई दिनों तक सीतामढ़ी और हिसुआ थाने का चक्कर काटती रही पर किसी ने मुकदमा दर्ज नहीं किया। महिला ने बताया कि वहां से निराश होकर हिसुआ डीएसपी और फिर नवादा एसपी के पास जाकर मिली। तब जाकर एसपी के निर्देश पर डीएसपी ने थाने में फोन किया और आखिरकार एक महीने और दस दिन के दस सितंबर को हिसुआ थाना में कांड संख्या 534/25 दर्ज किया गया। मीडिया को इस मामले की सूचना पुलिस ने 13 सितंबर को दी।
भईया जी की रिपोर्ट